Roma Panjiyar   (Rom@)
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Joined 18 July 2018


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Joined 18 July 2018
23 SEP 2020 AT 9:22

ना जाने किस हुनर को तुम सायरी कहते हो,
हम तो वो लिखते है जो तुमसे कह नहीं पाते।

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18 JUL 2020 AT 13:48

Me to my new hairstyle everytime:

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17 JUL 2020 AT 12:12

सावन के बरसात में,
सूखेपन का एहसास है।
दिलबरो के महफ़िल में,
अकेलेपन का एहसास है।

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21 APR 2020 AT 23:04

मेरी ख़ामोशियों को मेरी कमज़ोरी मत समझना।
हम ख़ामोश है क्यूंकि मेरा दिल नहीं चाहता उलझना।

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17 JAN 2020 AT 22:04

मंज़िल ढूंडने चले थे,
रास्ते में कोई ऐसा मिल गया कि उसी को मंज़िल बना बैठें।

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16 JAN 2020 AT 13:17

वक़्त का क्या है,
ये ना कभी किसी के लिए रुका है ना रुकेगा।
इसके कदम से कदम मिलाकर हमें ही चलना होगा,
नहीं तो कब साथ छूट जाएगा पता भी नहीं चलेगा।

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29 DEC 2019 AT 18:34

साल आया है ख़त्म होने को।
कहीं ऐसा तो नहीं,
तुम्हारे अंदर का इंसानियत,
भी आया है ख़त्म होने को।

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17 DEC 2019 AT 23:56

तुम्हारी मंज़िल,
जितनी खूबसूरत है तुम्हारे लिए।
उसके रास्ते,
उतनी ही कठिन होगी तुम्हारे लिए।

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17 DEC 2019 AT 18:03

वक़्त लगता है दुआओं को ऊपर पहुंचने में।
इतना रुके हो तो थोड़ी देर और रुक जाओ,
क्या पता अब वक़्त नहीं तुम्हारी दुआ पूरी होने में।

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16 DEC 2019 AT 19:03

भीड़ में खुशियां ढूंढते ढूंढते,
खुदकी मुस्कान को ना भुला बैठना।

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