एक दिन मेरी मौत पर कुछ लोग रोयेंगे।
कुछ बोल देंगे अच्छाइयाँ मेरी तो कुछ मेरी बुराइयों का रोना रोयेंगे।
क्या खोया है मेरे अपनो ने इसे छोड़कर, मैं क्या-क्या दे गया हूँ इस बात पर बातें बनायेंगे।
मेरे हालतों, जज्बातों को जानें बिना मेरी कमियों की बातों में खोयेंगे।
जब उठाएंगे ये अर्थी मेरी, मातम का दुःख भूल कर मेरा वजन कितना है इन बातों में खोयेंगे।
चिता मेरी शांत भी ना होगी, ये कर्म-काण्ड और नियमों की बातें कर मेरी अस्थियाँ घाट-घाट में डुबोयेंगे।
ये लोग ही तो है जो मेरे जिंदा रहने पर मेरे नहीं हो सके, तो मरने के बाद मेरे क्यों होयेंगे।।
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