Rohit Bharadwaj   (rj Rohit)
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Joined 23 September 2020


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Joined 23 September 2020
27 JUL 2022 AT 9:18

समय बदल रहा,
लोग बदल रहे।
दिलों पे दुखों के बोझ बढ़ रहे।।

समय से रिश्तों के ,
मोल बदल रहे।
न जाने हम किस ओर बढ़ रहे।।

हर ओर रिश्तों की झूठी बुनियाद दिख रहा,
रिश्तों का झूठा ढोंग करने वाला ,
हर यार दिख रहा।
इस पराव पे आ,
मेरा भी मन डगमगा रहा।
लोगों की झूठी फरेबी बातों से ,
मैं मात खा रहा।।

मन करता है,
मैं भी फरेबी हो जाऊं।
जुबां पे कुछ और मन से कुछ ,
ऐसे जीने का आदी हो जाऊं।
किरदार बदल ,
मैं भी मतलबी हो जाऊं।।

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7 MAY 2022 AT 14:04

चिढ़ सा गया हूं
खुद के ही किरदार से,
मासूमियत भरे व्यवहार से।
अब किरदार में तब्दीली चाहिए,
रिश्ते नाते से दूरी चाहिए।।

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5 APR 2022 AT 20:17

जमाने को नाम का खौफ चाहिए,
प्रेम नहीं जुबानों की चोट चाहिए।
हस्त मिलापों से नहीं मिलते हैं सच्चे मित्र ,
कर्मों का भी मेल होना चाहिए।।

इश्क की राह पे गुमनाम हो जाते हैं वे लोग,
जो प्रेम का व्यापार नहीं करते ।
मासूमियत भरे प्रेम को नकारा जाता है,
आवारगी को बढ़ावा दिया जाता है।
हमें भी इस जमाने के साथ ढलना चाहिए,
मासूमियत छोड़ आवारगी अपनाना चाहिए।।




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5 APR 2022 AT 20:12

जमाने को नाम का खौफ चाहिए,
प्रेम नहीं जुबानों की चोट चाहिए।
हस्त मिलापों से नहीं मिलते हैं सच्चे मित्र ,
कर्मों का भी मेल होना चाहिए।।





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26 MAR 2022 AT 17:50

सफर अभी लंबी है,
तब तलक यादों में ,
उन्हें पनाह देंगे।
बस में बैठे बैठे ,
कुछ गाने गुनगुना देंगे।
हम उनकी मोहब्बत में की अदायगी के
दीवाने हैं,
वक्त रहते उनकी अदायगी को जहन में,
फिर से उतार लेंगे।
मंजिल में और भी मिलने वाले हैं अदाकार ,
संभलते हुए इनसे दूरियां बना लेंगे।
कुछ इस कदर ,
बर्बादियों से खुद को बचा लेंगे।।

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20 NOV 2021 AT 18:02

तलब लगा खुदको उनकी,
व्यथित हैं हम।
और सुकून से,
वो कहीं सो रहे।
बेपरवाही में झूम झूम,
राग खुशी के गा रहे।।

मन की वेदना,
शांत हो जाएगी।
सारी व्यथा ,
दूर हो जाएगी।
तलब उन्हें भी,
जिस दिन ,
हमारी हो जाएगी।।

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18 NOV 2021 AT 17:21

जिंदगी में सुने लतीफे ,
वो हिदायतें,
वो गम भरे हुए,
सुने पुराने किस्से,
सब भूले जा रहे हैं।

गम की दुनिया छोड़ ,
हम इक बार फिर से,
प्यार में डूबे जा रहे हैं।।

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15 NOV 2021 AT 13:50

बेतहां इश्क है हमें आपसे,
हम बयां ना करेंगे।
तिल तिल घुट कर ,
जी लेंगे जिंदगी।
पर खता न करेंगे।
बदनामियों के कहर बरस परेंगे,
पर मोहतरमा
गलती से भी जुबां से आपका नाम न लेंगे।।

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5 NOV 2021 AT 17:10

हसें इतना की,
हसीं तले गम छुप जाए ।
ताज़गी भरी इक,
उमंग छिड़ जाय।
बिखड़े , टूटे दिल को समेट कर,
हम प्यार दुबारा कर जाएं।।

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23 OCT 2021 AT 15:08

पुराना पुरना करते हो तुम,
कुछ नया तो बताओ।
ख्वाबों से निकल ,
जरा बाहर तो आओ।
देखो जमाना बदल रहा है,
जमाने सा तुम भी
बदल जाओ।
यूं अकड़ दिखाना ,
अच्छा नहीं है।
बहुत अच्छे हो तुम ,
ये बताना जरूरी नहीं है।
ख्वाबों को हकीकत समझना,
अच्छा नहीं है।
सुधर जाओ ,
ये मौका अभी है।।

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