अक्सर लोग कमियां निकाल
देते हैं। पर कोई इन कमियों की
न तो वज़ह जानता है और न ही
कमियों को सुधारना जानता है।
बस लोग बोल के निकल जाते
हैं। सभी के अंदर कुछ न कुछ
कमियां होती है। बस उसे स्वीकारने
वालों की कमी है।
वैसे मुझे फ़र्क नहीं पड़ता अब किसी
भी चीज़ का पर हां, जब वो शख़्स
कुछ बोल दे, जिसे हम अपना सब कुछ
मानते हैं तो सच में दिल दुखता है, जिसे
हमने स्वीकारा है, जिसके कमियों को स्वीकारा
है। जिसे हम इज्ज़त देते हैं। पर ये बात सबके
लिए समझना थोड़ा मुश्किल होता है।
पर क्या कर सकते हैं, अक्सर लोग सब कुछ
भूल जाया करते हैं।
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