मन की बातें किसी को सुनाने को दिल करता है तन्हाई अब अपनी मिटाने को दिल करता है, कोई तो हो जो बाहों में समेट ले आकर जिंदगी थोड़ी सी खुशियों संग बिताने को दिल करता है.
शिकायत उनसे नही वक्त से है बिन बाहों मे लिए उनको तन्हा सोना पड़ता है, कुछ बेपरवाह से हो गए हैं वो आजकल, लम्बी स्याह सी रातों मे चुपके से रोना पड़ता है.
खुश्क से लब कुछ हैं मेरे आ के इन्हे नम करे कोई तन्हा उदास से जीवन में खुशियों के रंग भरे कोई, समर्पण कर दूं खुद को मैं वार दूं तन-मन और यौवन लगा के सीने से मुझे बाहों में बाहें धरे कोई.