मै हरदम साथ निभाऊंगा!!
मै ये बातें नहीं कहता, तेरे सारे दुख-दर्द ले लूंगा।
मगर जो भी है बाधाएं, उन्हें साथ में तेरे झेलूंगा।
मै ज़रा-सा अलग, ज़रा बेढंगा सा लगता हूं।
तू जो चाहे तो तेरे रंग में ही रंग जाऊंगा।
रास्तों कि परवाह ना कर।
तू चलने को आवाज़ दे, मै हर रास्तों में संघ आ जाऊंगा।
तेरे आस-पास ज़रा कम देखे है रिश्ते मैंने।
तुझे जिस रिश्ते की तलाश होगी, मै उसमे ही ढल जाऊंगा।
समझना हो दुनिया को, या करनी हो खुद की पहचान।
तो मां की हर ममता देने, मै माता बन जाऊंगा।
जब खुद में कमज़ोर लगो, या सामर्थ्य नहीं आगे बढ़ने का।
मनोबल बढ़ाने को मै पिता बन साथ निभाऊंगा।
कोई बात हो मन में या दिल गमगीन हो।
मित्र सहेली बनकर मन के सारे गम पी जाऊंगा।
जब अकेली हो इन राहो में।
हर राह में साथ निभाने, मै हमसफर तक बन जाऊंगा।
बच्चो के संघ मिलकर जो खिलखिलाना चाहो तो।
वो हसी चेहरे पर लाने, मै बच्चा हो जाऊंगा।
सफर में अकेले दौड़ते-भागते, खुद को बुरा सा लगने लगा हूं।
शायद तेरे साथ चल कर थोड़ा अच्छा हो जाऊंगा।
मै ये बातें नहीं कहता, कोई ग़म नहीं होगा जीवन में।
मगर हर गम से लड़ने को, मै हर हद तक साथ निभाऊंगा।।
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