किसी ने ख़ूब कही है ग़ज़ल तुम्हारे लिए सजाया जैसे कोई है महल तुम्हारे लिए -
किसी ने ख़ूब कही है ग़ज़ल तुम्हारे लिए सजाया जैसे कोई है महल तुम्हारे लिए
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दे गया था हमें इश्क़ का वो गुलाब याद आया तो फिर हमने खोली किताब -
दे गया था हमें इश्क़ का वो गुलाब याद आया तो फिर हमने खोली किताब
नींद आई नहीं रात बीती मगर सुबह फिर ज़िक्र तेरा छिड़ा बेख़बर ////------------////--------------////रात बीती मगर नींद आई नहीं सुबह फिर ज़िक्र तेरा छिड़ा है कहीं -
नींद आई नहीं रात बीती मगर सुबह फिर ज़िक्र तेरा छिड़ा बेख़बर ////------------////--------------////रात बीती मगर नींद आई नहीं सुबह फिर ज़िक्र तेरा छिड़ा है कहीं
पहले अच्छे से जाँच लेना तुम देशहित में ही वोट देना तुम ग़ैर वाज़िब अगर लगे कुछ भी वोट से अपने चोट देना तुम -
पहले अच्छे से जाँच लेना तुम देशहित में ही वोट देना तुम ग़ैर वाज़िब अगर लगे कुछ भी वोट से अपने चोट देना तुम
बात करते नहीं हुआ क्या है हमसे बोलो हुई ख़ता क्या है 1मूसलाधार आज है बारिश बादलों से कहा गया क्या है2दर्द दिल का बढ़ा रहे हो रोज़ क्यों बताते नहीं दवा क्या है 3ख़ूब चर्चा मुक़द्दमे का हुआ हारने वाले की सज़ा क्या है4 कुछ उलटफेर भी तो है मुमकिन मूड जनता का, क्या पता, क्या है 5चल पड़े जब नए सफ़र पे हम पीछे मुड़कर भी देखना क्या है 6दिल तेरे नाम पे है धड़का फिर दरमियाँ जो है राब्ता क्या है 7कौन सच्चा है कौन है झूठा आप कहिए न फ़ैसला क्या है8ज़ात,मज़हब या देश प्रेम "रिया" सबसे बढ़कर यहाँ बता क्या है9 -
बात करते नहीं हुआ क्या है हमसे बोलो हुई ख़ता क्या है 1मूसलाधार आज है बारिश बादलों से कहा गया क्या है2दर्द दिल का बढ़ा रहे हो रोज़ क्यों बताते नहीं दवा क्या है 3ख़ूब चर्चा मुक़द्दमे का हुआ हारने वाले की सज़ा क्या है4 कुछ उलटफेर भी तो है मुमकिन मूड जनता का, क्या पता, क्या है 5चल पड़े जब नए सफ़र पे हम पीछे मुड़कर भी देखना क्या है 6दिल तेरे नाम पे है धड़का फिर दरमियाँ जो है राब्ता क्या है 7कौन सच्चा है कौन है झूठा आप कहिए न फ़ैसला क्या है8ज़ात,मज़हब या देश प्रेम "रिया" सबसे बढ़कर यहाँ बता क्या है9
दिन बीत गया चाँदनी ये रात है आई दिल क्यूँ है मगर अब भी तलबगार तुम्हारा -
दिन बीत गया चाँदनी ये रात है आई दिल क्यूँ है मगर अब भी तलबगार तुम्हारा
लौटकर आने को जिससे कह गया गाँव का वो घर अकेला रह गया -
लौटकर आने को जिससे कह गया गाँव का वो घर अकेला रह गया
मुलाक़ात उनसे हुई भी नहीं हैमगर धड़कनें दिल की बढ़ने लगीं हैं -
मुलाक़ात उनसे हुई भी नहीं हैमगर धड़कनें दिल की बढ़ने लगीं हैं
शज़र की पत्तियों ने कह दिया है न काटो टहनियों ने कह दिया है 1किया इज़हार तुमने फ़ोन पे जो तुम्हारी झुमकियों ने कह दिया है 2निगाहों से ज़माने की छुपाकर तुम्हारी झलकियों ने कह दिया है 3मिलोगी शाम को छत पर यहीं तुम हमें ये सीढ़ियों ने कह दिया है 4गिरीं है आज वो दिल पे किसी के कड़कती बिजलियों ने कह दिया है 5बरस जाएँगी सूखे खेत पर वोये घिरती बदलियों ने कह दिया है 6"रिया" जो कह न पाई खुल के तुमसे खनकती चूड़ियों ने कह दिया है 7 -
शज़र की पत्तियों ने कह दिया है न काटो टहनियों ने कह दिया है 1किया इज़हार तुमने फ़ोन पे जो तुम्हारी झुमकियों ने कह दिया है 2निगाहों से ज़माने की छुपाकर तुम्हारी झलकियों ने कह दिया है 3मिलोगी शाम को छत पर यहीं तुम हमें ये सीढ़ियों ने कह दिया है 4गिरीं है आज वो दिल पे किसी के कड़कती बिजलियों ने कह दिया है 5बरस जाएँगी सूखे खेत पर वोये घिरती बदलियों ने कह दिया है 6"रिया" जो कह न पाई खुल के तुमसे खनकती चूड़ियों ने कह दिया है 7
मानसिक गुलामी को छोड़ कर निकल जाओ दूसरों की बातों में बेसबब नहीं आओ -
मानसिक गुलामी को छोड़ कर निकल जाओ दूसरों की बातों में बेसबब नहीं आओ