Ritika   (Fallen_angel)
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Joined 5 June 2022


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9 JUL AT 21:06

रूठकर गया है अब नज़र नहीं आता
मुद्दत हो गई अब चांद मेरे घर नहीं आता

नज़र आता है जो फ़रेब नज़रों को होता है
फ़रेब नज़रो को भी अब ये मुसलसल नहीं आता

खोया आशना जो था कभी उल्फत की रातों का
तन्हाइयों में इस दिल को अब सब्र नहीं आता

अश्कों से पैमाना दर्द-ओ-आह का क्या होगा
मुस्कुराना इन लबों को अब बेसबब नहीं आता

हसरत-ए-दीदार में तन्हा ये दिल भी वाकिफ है
चला जाता है जो वो फिर लौट कर नहीं आता

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21 JUN AT 22:06

कुछ समानताएँ मौलिक होती है
जीवन के सार की तरह
जैसे भावनाएँ
जो कभी मैं बोल नहीं पाती
कभी तुम सुन नहीं पाते
और बिना कहे ही ये जीवन व्यर्थ हो जाता है
उन्हें समझने की चाह में
भावनाएँ तो मौलिक हैं ना
वो तो हर मनुष्य में समान ही होती है
फिर उन्हें व्यक्त करने में विषमता कैसी
अंतर तो सिर्फ अभिलाषाओं का है
भावनाएँ तो समान ही हैं ना,
है ना?

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6 OCT 2024 AT 17:42

आज फिर उस किताब के पन्नो की खाक छानी है
जिसकी जिल्द पे यादों की एक मोटी सी परत
धूल बन चुकी थी
आज फिर इक रेशमी रुमाल निकाला
उस किताब को फिर से पोछा, झाड़ा
और उस किताब के कुछ अश'आर
मेरे रुमाल से लिपट गये
मुझे देखकर मुस्कुरायें और बोले
तरसे हैं हम भी तेरी कलम की यादों में
मैं कुछ ठहर सी गई वहा
एक सूना बेरंग पन्ना मेरी ओर देखता रहा
बेतरतीब सी मेरी कलम ना-मंजूरी को छुपाये हुए
फुर्कत के लफ़्ज़ों में सराबोर चलती रही
और किस्सो का काफ़िला यूंही बढ़ता रहा
उनींदी जम्हाइयो से लड़ते हुए
एक किस्सा और रख आई हूँ मैं आज वहा
एक रोज़ बेवज़ह मुलाक़ात करने के लिए

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26 SEP 2024 AT 23:12

निशब्द शब्दों की एक धारा
निरंतर प्रवाह में
खोजती रहती है
कुछ शब्द युग्मो को
जो साथ साथ बह सके
पर हर सब गूंजता है
अपनी अनोखी ध्वनि में
हर शब्द है सूना
खोया हुआ अनगिनत भावों में
हर शब्द है सुनसान
हर शब्द है अकेला
निशब्द शब्दों की एक धारा
निरंतर प्रवाह में
गतिमान रहती है
कुछ अधूरे शब्दों के साथ

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22 SEP 2024 AT 2:56

दूरियों का आलम कुछ इस कदर रहा
इस दिल पे हुकूमत का उन्हें इल्म भी ना हुआ
वो हर लफ्ज में हमसे परदे हजार करते रहे
हम बेबाक़ी से बस उनका इंतज़ार करते रहे
हर लफ़्ज़ उनको रुसवाई सा बेज़ार हुआ
उल्फत में हर ख्वाब यूं ही तार तार हुआ
ख्यालों में अक्सर अब उनका आना जाना होता है
तन्हाइयों में अब इस दिल का ठिकाना होता है
इश्क का हर एक सितम बेमिसाल रहा
एक दुनिया वीरान हुई उन्हें इल्म भी ना हुआ।

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11 AUG 2024 AT 22:58

कुछ किस्से अधूरे होते हैं अनसुने अंजाने से
हम पल पल उनको जीते हैं वो लगते हैं बेगाने से

बस आह गूंजती है उनकी इन स्याह रातों को
कुछ किस्से दफ़न होते हैं गुमनाम इस ज़माने से

ख़बर उन्हें भी होती है इन बेपरवाह जज़्बातों की
कुछ किस्से तन्हा होते हैं खोए हुए वीराने से

हासिल नहीं तकदीर में उनके मुकम्मल होना
कुछ किस्से अधूरे रहते हैं बेमकसद बेमाने से

आँखों में कैद करके ख्वाबों में उनको देखा है
कुछ किस्से सोये रहते है बेख़बर दीवाने से

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7 JUN 2024 AT 14:45

एक रास्ता तन्हा सा 
और खामोश सी मैं 
रुक रुक कर धड़कती 
धड़क कर के थमती 
इन हवाओं जैसी गुमनाम 
एक आवाज़ की तलाश में 
सोयी सोयी सी रातों में 
नींद की दस्तक पर
एक जागी हुई बेचैनी सी
ख्वाबो की दुनिया में 
हकीकत से एहसास के
एक अंजान इंतज़ार में 

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24 APR 2024 AT 0:23

Weaving through the crossroads
Your eyes touch my heart
Our souls bend towards eachother
While we move further apart

And there's a silent plea
Roaring through my mind
Asking me to stay still
In this moment, in this time
A silken gaze hold us together
Like our fingers intertwined

As time ticks away slowly
Heartbeats thrum like a bell
And we move past eachother
Silently breaking this spell.

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17 APR 2024 AT 0:40

मोहब्बत में फिर सोचा है एक जमाना तेरे नाम करूँ
कुछ ख़्वाब खुद तक रखू कुछ किस्से सरेआम करूँ

फासलों को हमारे दरमियान आने न दूँ फिर कभी
दुनिया की इस भीड़ में मैं खुद को तेरे नाम करूँ

हैं अफ़साने कुछ क़ैद दिल में ख़ामोशी में शोर करते हैं
इजाज़त हो अगर मैं उनको बे-क़ैद बे-लगाम करूँ

हाँ मालूम है मुझे है मोहब्बत बेपनाह तुम्हे भी
क़ुरबत में पूछो तो अपनी ख्वाहिशें बयान करूँ

हर लम्हा तेरे इंतज़ार में गुज़र जाता है तन्हा
इन तन्हाइयों का बता मैं कैसे एहतेराम करूँ

बेखबर सी ख्यालों में खोयी रहती हूँ मैं
इजाज़त हो अगर ये तन्हाइयां तेरे नाम करूँ

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17 APR 2023 AT 0:50

कुछ किस्से मैं कहती हूँ
कुछ वो सुनाया करता है
चाँद चुपके से रातों को
मेरी छत पर आया करता है

वो आँखों के झरोखों से
दिल में बस जाया करता है
सोयी सोयी सी रातों में
वो ख्वाब जगाया करता है

चाँद चुपके से रातों को
मेरी छत पर आया करता है

मैं उसमे खोई रहती हूँ
वो होश उड़ाया करता है
एक मीठी सी मुस्कान दे
वो नींद ले जाया करता है

चाँद चुपके से रातों को
मेरी छत पर आया करता है

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