Rishveshwer Sharma   (NR...✍)
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Joined 1 August 2021


Joined 1 August 2021
12 AUG 2021 AT 6:53

*खुशियों* के लिए *बहुत कुछ*
*इकट्ठा* करना पड़ता है
*ऐसी हमारी समझ है*
परंतु *खुशियों* के लिए *बहुत कुछ*
*छोड़ना* पड़ता है
*ऐसा अनुभव कहता है*

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12 AUG 2021 AT 0:06

जन्मदिन के शुभ अवसर पर,
भेंट करू क्या  उपहार  तुम्हें,
बस ऐसे ही स्वीकार कर लेना,
      लाखों लाखों प्यार तुम्हें•••••
      जन्मदिन की  बहुत बहुत  बधाई तुम्हें•••••

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8 AUG 2021 AT 22:54


महात्वपूर्ण यह नहीं की आप लिखते क्या है!
महात्वपूर्ण यह है, की आप कितनी खूबसुरती का राज कैसे लिखते हैं| .... कि पढ़ने वाले अपने अनुसार मतलब निकाल कर पढ़ते है!!

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5 AUG 2021 AT 21:16

अजीब  है!  ''ज़िंदगी''   अजीब है!  ''ज़िंदगी'' ।
कभी हँसाती है, तो कभी रुलाती है ''ज़िंदगी'' । ।

कभी  बुला  देती  है,  खुशी के  बादल।
तो      कभी       दुख       की    घटा ।।

कभी       उज्जवल      भरा      दिन।
तो   कभी      चांदनी     भरी     रात।।

कभी   खुशियां   से    भरी   बरसाते।
तो  कभी   मन मोहनी   वाली हवाऐ। ।

कभी      प्रसन्नता     भरी     पद    यात्रा।
तो कभी आखों मे पानी भरी अर्थी यात्रा। ।

कभी अपनो से मिलने का सुःख।
तो  कभी   बिछड़ने   का  दुःख। ।

कभी    कुछ    पाने  की  आशा।
तो कभी कुछ खोने की निराशा। ।

सच अजीब  है! ज़िंदगी अजीब है! ज़िंदगी ।
सच   में   बहुत        अजीब  है!  ''ज़िंदगी'' ।।

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3 AUG 2021 AT 16:11


" जिन्दगी"
"लम्हेँ"

खाली पंने भी अब भरे नजर आते है।
जिन्दगी के रंग भी घुले हुऐ नजर आते है॥
जो सोचा उन लम्हो को तो वही एक खाव बन जाते है। नजर पढते ही वह मंजिल बन जाते हैँ॥
वही तो जिन्दगी की पहचान बन जाते है।
फिर वही क्यो वक्त के साथ अनजाने हो जाते है॥
अपने होते हुए भी वह गुजरे लम्हो मे खो जाते है।
जब उठी नजर तो वह मुस्कुराते हुऐ राहो मे मिल जाते है, खुद मे ही मिले वह सासे बन जाते है॥
"गुजरते हुऐ वक्त के साथ वही लम्हेँ एक दिन यादेँ बन जाते है।"

रिशवेशवर शर्मा

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1 AUG 2021 AT 16:51

वो अलग सी थी अपनी दुनिया . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .
कुछ नया करना वो खुद की नई पहचान बनाना ,
खुद की कुछ पहचान बनाने की अलग ही जग थीं ।।।

"जाना पहचाना साथ था , वो खुशियो भरा सफर
वो राहो का हम सफर वो साथी है जाना पहचाना।"

" ऐ दोस्त, ये रिस्ता रक्त का नही, दोस्तों ये वो तजुर्बा है।
स्वतंत्र दिल से दिल का ,,सही-गलत का
एक रिस्ता अनुभव का"✌💐👍
माना के अब साथ नही पर, आज भी मुस्कान 😊 के पीछे वो "दोस्त" याद आते हैं ।।।

रिश्वेश्वेर शर्मा . . 😇

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1 AUG 2021 AT 16:38

"जिन्दगी" में क्या है उन के बिना, "दोस्ती दिल से"

में सोचा हैं ,उन लम्हों को "जिन्दगी" में क्या है। " दोस्तों"
के बिना उन यादों में मजा है, तड़प है, सादगी हैं ।।
कुछ अपना पन है उन यादों में , ये जुनून नही हैं!! तो क्या ! !

याद आते है वो बचपन के यार. . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .
वो महकती हुई बरसातो में साथ - साथ चलना,
अधुरा सा है वो लंच बोक्स दोस्तों के बिना ,
खाना साथ -साथ था ,वो खेलो की रंगीन दुनिया
में खो जाना।
गिली डंडा, छुई छुआ वो लगडी टांग. . . . . . . . की टीम में जो साथ थे, वो दोस्त याद आते हैं।।
"फिर कहा खो गया वो पन्ना किताब का"

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1 AUG 2021 AT 14:20

जिंदगी के रंग हैं हजार
दोस्ती के बिना है सभी बेकार

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1 AUG 2021 AT 14:15

🖋🖋 मुस्कुराने की आदत भी कितनी महेंगी पड़ी हमको
भुला दिया सबने ये कहकर की तुम तो अकेले भी खुश रह लेते हो..!!

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1 AUG 2021 AT 14:03

इस बार बरस जाए ईमान की बारिश,
लोगों के ज़मीर पर धूल बहुत है...!!

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