Rishiraj Sharma   (ऋषिराज)
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Joined 23 March 2023


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18 MAY AT 20:17

एक राह ढूंढ लेंगे,
सफ़र हो कितना भी बड़ा
संग पूरा कर ही लेंगे,
लड़खड़ाए तो थामूं तुझे
जो डगमगाऊं तो तुम संभाले मुझे,
यकायक ना ख़त्म हो ये स्वप्न मेरा
धरती थी स्वप्न की स्वप्न का था अंबर मेरा।

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6 MAY AT 21:03

उसपे यादों के हिसाब
फिर ये अफसाना कैसा...

मुझ में ही था मैं
किया याद नहीं तुम्हे
फिर तुम्हे भूलना कैसा...

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5 MAY AT 20:20

तुमको हसीं मानने की बस आरज़ू भर है
लगता है ये कैफियत की साजिश भर है

गर सोचता तुम्हे तो ज़िंदगी भर चल नहीं पाते
भूला कर तुम्हे चलना बस एक कोशिश भर है

अब बूढ़ा हो चला है पेड़ मेरे आंगन का
ये धूप की किरणे उसके लिए चंद सांसे भर है

ग़म तो ज़िंदगी में भी रोने वाले आए
देख कर तुझे मुस्कुराना कुछ ज़र्रे भर है

जाना तो कभी चाहा ही नहीं 'राज' इस रिश्ते से
भला क्या रोक लेंगी ये तो बस कसमें भर है

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4 MAY AT 12:11

ये ख़्वाब भी एक रोज़ सच्चा होगा

उठा हूं प्रातः काल से तुझमें
अब तुझमें ही सोना अच्छा होगा

मेरी तो बस बात भर से ही रो जाते है वो
उनका दिल भी कुछ कच्चा होगा

ना जाने 'राज' क्या सोची है ईश्वर ने मेरे लिए
अब जो भी होगा अच्छा होगा!

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1 MAY AT 10:48

अंधेरों से गुजरकर आऊंगा एक दिन
सब कुछ तुम्हे बताऊंगा एक दिन

जहां इत्तेफ़ाक़न मिले रास्ते हमारे,
ऐसे किसी जहां में जाऊंगा एक दिन

करती है नज़्में शिकायत मुझ से तेरी
कैसे मिली तुम बताऊंगा एक दिन

आवमस्या सा आसमां है मेरे शहर का
देखने पूर्णिमा कभी शहर तेरे आऊंगा एक दिन

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26 APR AT 11:50

नज़्मों को सलीखा सिखाया हमने,
जवाब-ए-दिल हर बार बताया नहीं करते!

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10 APR AT 12:53

लेता हूं नाम तेरा हर शायरी में

कुछ समेत के ही रखा है ख़ुद से
डरता हूं खोने से दिल-ए-कायरी में

वो ख़त्म कर देते है बाते कुछ ही लफ्ज़ में
भला क्या करेंगे जाकर उनकी मुशायरी में

वो हक़ से भूल जाए 'राज' किरदार हमारा
आज भी पहला पन्ना है उनके नाम से डायरी में

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1 APR AT 19:29

पत्थर क्या जाने क़िस्मत अपनी,
कहीं है ढांचा विवादित, तो कहीं वो स्वयं श्री राम है

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31 MAR AT 12:36

ख़ुद को समझे वह बे-कसूर,

कैसे जाएं 'राज' मिलने उनसे
उनका शहर है बड़ा ही दूर

चाहे पढ़ ले हम कितने ही आषाढ़ अपने
उनकी एक नज़्म से ही है हम मशहूर!

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29 MAR AT 10:01

सबका है आसमां,
किसी एक की जागीर तो नहीं,
गर किसी पेड़ पर है बसेरा किसी का
मिलेंगे लाखों
अकेला बस वही पेड़ तो नहीं!

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