श्री राम हो तुम,आदर्श हो तुम,
आज्ञाकारी दशरथनंद
कौशलया पुत्र हो तुम।
सब की सुनते तुम धीरज से,
मानवता के समान हो तुम।
मर्यादापति के हो चाहे,
चाहे हो भाई भाई का प्रेम ,
हर रिश्ते को दिया मान प्रभु,
सद्गुण के स्वम प्रमाण हो तुम।
छल रावण ने जो किया तुम से ,
तुम हुए बिबस युद्ध करने को,
जीती लंका दी विभीषण को,
कल्याण रूप भगवान हो तुम।
श्री राम हो तुम दशरथनंद
कौशलया पुत्र हो तुम
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