Rishi   (ऋषि)
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Joined 2 May 2022


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27 MAR AT 14:15


अगर मैं ढूंढूंगा अब तुझको, तू कहीं खो जाना..
फिर मैं लिखूंगा पत्थर तुझे, और तू आइना हो जाना।

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26 MAR AT 21:22

पास बैठे हाल पूछता है मुझसे वो
जबकि वो मेरी हालत से बेखबर नही
गर करूं मैं फिर भी इजहार अपनी हालत का, पर कैसे
मुझे भी खबर है, अब उसे मेरे हालत की कदर नहीं।

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18 MAR AT 10:48

कितना कठोर है मंजिल को पाना, रस्तों पर चलना और राहगीरों को अलविदा कह जाना।
कितना भयावह है सपनो का बिखरना, और उससे भयानक सपनो का न होना।
कितना मुश्किल है फिक्र करना, उसे छिपाकर नजरें चुराना ।
कितना तार्किक है अपने मन को नियंत्रण में लाना, अपने विचारो पर तर्क लगाना।

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27 JAN AT 22:10


थक गया है जाने क्यूं, भर सा गया है जाने क्यूं ,
इस दौड़ से ये, इस भीड़ से ये,
अब इसे इसकी जरूरत है।
मिट सा गया है जाने क्यूं
इसका हक ये , इसका सवाल सा ये
दिख सा रहा है इसको वो ..सच सा ये, झूठ ये
अब इसे आराम की जरूरत है, बस
अब इसे इसकी जरूरत है..।

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17 JAN AT 20:42

काफी कुछ छूटा, काफी कुछ छूटना बाकी है,ये जिंदगी यूं ही चलेगी।
जितना रोका है उसका जाना तय है, जितना रुका है वो भी आएगा।
जो साथ है एक दिन वह भी अलविदा कह जायेगा,
ये जिंदगी ऐसी ही है।
नही जानता कौन, किस मोड़ तक साथी है।
मैं भी राही हूं सबकी तरह, ठहर तो मैं भी न सकूंगा।
चलो इस तय राह पर ही पागल बन घूम लूं।
इन अजनबियों के साथ कुछ पागलपन बांट लूंगा।।

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17 JAN AT 20:12

काफी कुछ छूटा, काफी कुछ छूटना बाकी है,ये जिंदगी यूं ही चलेगी।
जितना रोका है उसका जाना तय है, जितना रुका है वो भी आएगा।
जो साथ है एक दिन वह भी अलविदा कह जायेगा,
ये जिंदगी ऐसी ही है।
नही जानता कौन, किस मोड़ तक साथी है।
मैं भी राही हूं सबकी तरह, ठहर तो मैं भी न सकूंगा।
चलो इस तय राह पर ही पागल बन घूम लूं,
और इन अजनबियों के साथ पागलपन बांट लूंगा।।

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28 DEC 2023 AT 14:37

मन का चाहा किसे मिला...!
ना मुझे मिला ना तुझे मिला ।।

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14 DEC 2023 AT 21:47

खुले आसमां को लिख दूं
या इससे मिलते नैन तुम्हारे लिख दूं।
बगैरत हो रही इस हलचल को लिखूं,
या हो रही कोशिश स्थिरता की लिख दूं।
समझ से परे जो दिख ना रहा, उस समझ को लिखूं ,
या चल रही ये नासमझी ही लिख दूं ।
तुम्हारी नम्रता लिख दूं या लिख दूं तुम्हारा गुस्सा..
लिख दूं तुम्हारी बाते या छोड़ दूं कोरा पन्ना तुम्हारी चुप्पी के लिए।
चलो तुम ही बताओ इस पल में क्या लिख दूं ....?

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11 NOV 2023 AT 19:33

उस सन्नाटे में खोना चाहता हूं,
फिर से तन्हा होना चाहता हूं ।
जानता हूं मनाएगा नही कोई,
जाने क्यों फिर भी रूठना चाहता हूं ।
जाने क्या ये जिद है दिल की, जो कह रहा है कि,
फिर एक और दफा टूटना चाहता हूं ।।

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31 OCT 2023 AT 22:13

let's make it happen..But, it would be foolish to forget the other side.

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