Rishav Shandilya   (रिशव पार्वती शांडिल्य)
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Joined 18 December 2017


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Joined 18 December 2017
20 OCT 2022 AT 16:18

उसकी बिंदी मेरे आईने पे सटी रह गयी
वो शायद माथे पर अब चाँद सजाती होगी

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18 OCT 2022 AT 16:51

वो आंखें जब भी हया से झुकाती हैं
मेरा हवस प्रेम में बदलता जाता है

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16 OCT 2022 AT 9:31

रूह, जिस्म और तक़रार इसमे मत उलझियेगा
ये मोहब्बत है जनाब, थोड़ा अदब से कीजियेगा

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15 OCT 2022 AT 8:36

हम शज़र से फल सा टूट जायँगे
तुम तबियत से एक पत्थर तो फेंको

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13 OCT 2022 AT 21:48

मिल कर तुमसे मेरा दिल-ओ-दिमाग नही भरता
गागर में पानी भरने से उसका सुराग़ नही भरता

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12 OCT 2022 AT 12:07

पानियों पे पत्थरों का असर रहता हैं
फेंकने वाले को कहाँ ख़बर रहता हैं

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11 OCT 2022 AT 12:15

तेरी तस्वीर छुपाई थी कमरे में जो मिल नही रही
दीवाली आने की ख़ुशी मुझमे लोगों से अलग हैं

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9 OCT 2022 AT 12:19

तुमसे आख़िरी बार मिलते वक़्त
छोड़ दूँगा कुछ अधूरा तुममे
उसे पूरा करने के लिए तुम
हमेशा दोबारा मिलना

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8 OCT 2022 AT 14:10

बेइंतहा देखी हो जिसने आंखों की गहराई,
वो भला समंदर की तारीफ़ क्या करे ?

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7 OCT 2022 AT 12:25

वो कैसे वापस आया ठिकाने पे मेरे
उसके जाने के बाद कई घर बदला हूँ मैं

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