Rinju  
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Joined 30 June 2018


Joined 30 June 2018
14 SEP 2023 AT 0:14

हिंदी की विडम्बना

माँ एवं मातृभूमि का दर्जा
स्वर्ग से भी है महान
फिर भी आजतक है वंचित
मातृभाषा, पाने को सम्मान
हिंदी के व्यवहार में भारतीयों को
आती है लज्जा और संकोच
अंग्रेजी भी तो है एक भाषा
तथापि प्राप्त है सर्वप्रथम स्थान।

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7 SEP 2023 AT 15:23

Envisioned as quintessential casanova,
A sacrilege against the supreme deity,
KRISHNA.

But, KRISHNA - an ensemble of 16 kalas.

Epitome of knowledge, strength, heroism, rememberance & beauty.
Apotheosis of radiance, wisdom, truthfulness , compassion & divinity.
Paragon of virtue, contemplation, opulence, renunciation, fame & integrity.

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6 SEP 2023 AT 20:31

कौन है कृष्ण...

मोहन, रचाते रास
वृंदावन में राधा संग ।
कान्हा, बालसखा सुदामा को
दर्शाते मित्रता के रंग ।
पार्थसारथी, अर्जुन के रथ पर
कुरुक्षेत्र के मैदान में ।
माधव, देते जीवन का सार
गीता के ज्ञान में ।

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11 JUN 2023 AT 15:33

Crescent enhances the value of all...
Moon, of the sky
Smile, of your face.


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7 MAR 2023 AT 14:42

हाँ, वो एक औरत है
यही तो उसकी खासियत है
महिला दिवस की नहीं जरूरत है
साल का हरेक दिन, दिन के हरेक पल में
पुरूषों से कम नही, औरतों की शख्सियत है ।

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4 MAR 2023 AT 20:37

ज़िन्दगी क्या है ?
यह कोई सवाल नहीं
बना के ख़ाक , उड़ा दूँ इसे
ऐसा मेरा ख्याल नहीं
रंग कई इसके , मैनें देखे
पर ये होली का गुलाल नहीं ।

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15 OCT 2021 AT 11:19

कौन है पुरूषोत्तम??
सवाल एक कौंधा, मेरे मन
कहाँ मिलेगा कोई
जो होगा परे, सब अवगुण।
क्या इस कलयुग में
श्रीराम का होगा फिर अवतरण ?
पूर्णता का अर्थ स्पष्ट
हुआ अचानक ,एक क्षण
जिसने प्रभुत्व किया अपने सारे दोष
वही है एकमात्र पुरूषोत्तम ।

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20 AUG 2021 AT 0:14

My country is no more a place to live
My own people betrayed me
Now beseeching for life,
Imploring for mercy
Trying to flee,
Seeking for asylum.
Gunshots on streets are deafening my ears
Blank & black future darkening my mind,
What is my crime??
Why I am paying so dearly, to be an AFGHANI ??

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10 SEP 2020 AT 19:43

I am happy,
Do I need validation from all ?
I am sad,
Do I need to apprise all ?
I am celebrating,
Do I need divulge to all ?
I love my family,
Do I need to unfurl to all ?
Display of feelings
parade of mores,
has
metamorphosed humans into EXHIBITIONIST.

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14 AUG 2020 AT 20:43

चलना था मैंने सीखा
जब होशोहवास भी न था सम्भला
वो भी बिना किसी की उंगली पकड़े
चाल थी मदमाती, आत्म विश्वासी, चलता था मैं सीना अकड़े
ना जाने कब किसकी नज़र लगी बुरी
राहें कठिन होने ‌लगी
विरामित सी हुई मेरी चाल
कंटीले झाड़ों से हुआ पांव लहुलुहान
आगे बढ़ना अब ना था आसान
चलते चलते जो मैं गिरा, फिर तो उठने का अवसर न मिला
मैंने फिर भी न मानी हार
रेंगते ही सही, मुश्किलों को किया पार
हुआ मेरा पुनर्जन्म , दिया खुद को एक वचन
चाल मेरी फ़िर होगी मदमाती
ना कोई आपदा, ना कोई विपत्ति
लगा पाएंगे मुझ पर लगाम
बनना है मुझे फिर से आत्मनिर्भर
करूंगा मुट्ठी में हर अवसर ।

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