बहुतेरे किस्से हैं हाथों की लकीरों के और अनगिनत हिसाब हैं तकदीरों के रोशनी की चमक की तेजी तो हर तरफ दिखाई देती है दर्द की घुटन खुद की खरीद ही रही सिर्फ अपने अपने हिस्से की
जिंदगी हो मस्तानी तो चाल हो दीवानी दिल हो मतवाला तो सफ़र कहां रुकने वाला उलझना सुलझना तो खेल हैं वक्त के चल पड़े तो चल ही दिए बिना रुके किस्मत से लडने उसे और बेहतर बनाने मुठ्ठी में बैठी है तकदीर हमारी कोशिशें हैं साथ हमारे चले हैं मंजिल पे घर बनाने
वक़्त बदला चेहरे बदले अपने और अपनेपन के तरीके बदले गुज़रे दिन यूँ ही बेवजह अब समझ आने लगा दिल प्रेम अहसास सब वक़्त से हैं सब वक़्त के हैं कुछ कमी हम में ही थी जो पहचानने में भूल हुई जब गुलाब ही चुने तो काँटों का दामन तो थामना ही था