Renu Sah   (‌ Renu Sah)
626 Followers · 296 Following

#kavyapanktiya meri kavya rachnao se bhara ...✍
Joined 25 January 2019


#kavyapanktiya meri kavya rachnao se bhara ...✍
Joined 25 January 2019
7 MAY 2022 AT 12:28

क्या बुरा है ?
---------------
बहु बनी तो सास बुरी है
सास बनी तो बहू बुरी है
ननद बनी तो बुरी है भाभी
भाभी के लिए ननद बुरी है।

कहीं पिता का पुत्र बुरा है
कहीं पुत्र का पिता बुरा है
कहीं भाई भाई का दुश्मन
कहीं बहन बेटी बुरी है।

क्या है यहां बुरा हर रिश्ता
या फिर बैर बढ़ाती सत्ता
सत्ता पर जो नजर गड़ी है
शायद नज़रें वही बुरी हैं।

कभी संपत्ति सामने आकर
लेती सबकी प्रेम परीक्षा
हर प्रेम पर लोभ पसारता
देखो शायद लोभ बुरा है।

-


7 MAR 2022 AT 20:50

सबको बिस्तार चाहिए
कम में कोई खुश नहीं।
दो गज नहीं पाता कोई
बह जाता राख बनकर

-


26 JAN 2022 AT 7:08

'''भारत रंग'''

बड़े अजीब है रंग दुनिया के
बड़ा अजीब है ढंग।
छोड़ो क्यों मन को दहलाना
चल हिम्मत के संग।

ठोकर लगी पैरों में तो क्या
दर्द हुआ तो क्या।
यह दर्द भी मिट जाएगा
देखेगा तू कल।

बुला रहीं हैं भारत माता
खतरे से आशंक
सीखो कल के वीर सपूत से
तू है उनका अंग।

दुनिया के आतंकी कीड़े
बिछा रहे हैं जाल
बोल रही है भारत माता
हाथ मिलाओ संग।

अलग अलग हैं धर्म देश में
अलग अलग भाषाएं
एक सूत्र में बंध गए तो
बनता भारत रंग।

तीन रंग से रंगा तिरंगा
हर रंग में संदेश
बल सच्चाई हरियाली है
देश का सच्चा रंग।

-


9 DEC 2021 AT 21:58

'''खुशियों का घर'''
-----------------------
सदा सभी से मिलकर रहना
नहीं किसी से लड़ना जी
प्यार बिछाना प्यार सजाना
प्यार बटोर कर लाना जी ।

राह बुहार कर आगे बढ़ना
काटे देखकर चलना जी
लोग बनाएंगे सौ बाते
नहीं किसी की सुनना जी।

आत्मविश्वास है अपना साथी
इसे कभी न खोना जी
कभी न डिगना प्रण से अपनी
कभी न थककर रोना जी।

मिल जाएगी अपनी मंजिल
पूरा होगा सपना जी
फिर कोई मुश्किल न होगी
खुशियों का घर अपना जी।

-


12 NOV 2021 AT 22:33

आंसू बहती नहीं अकेले
मन की द्वार हैं आंखें।
दर्द शिकायत सब बटोर कर
साथ ले जाती आंखें।





-


1 OCT 2021 AT 21:32

जाना है बरसात को अब
सर्दी की दस्तक लाया है।
साथ में त्यौहारों के रंग
अक्टूबर ऐसे आया है।

-


22 SEP 2021 AT 13:03

प्रभात प्रतिक्षा
-----------------
भरने चले हम जीवन शक्ति
हुई कमजोर क्यों शिक्षा ।
पंख मोड़ कर कब तक ऐसे
बचपन करे प्रतिक्षा ।

शब्द मुखर नहीं पाता है पर
मुखमंडल विख्यात ।
लहू की हलचल थम कर पूछे
होगा कब प्रभात ।

अल्प विराम या बहु विराम ये
विश्व प्रश्न गहरा है ।
सरस्वती और लक्ष्मी मां का
शत्रु कोई बड़ा है ।

-


31 AUG 2021 AT 22:34

डोर लगी है रेशम की
भरकर झूला फूलों से
मन उपवन सी हुई यशोदा
देखी हरष नन्द लाल !!!..

रोके मइया रोक न पाए
देखे पल-पल दीठ लगाए
नयन कोमल अरुण अधर
जो मुस्के बाल गोपाल !!!..

-


26 JUN 2021 AT 16:32

शायद ये इंतज़ार इंन्तहान लेने वाला है
मन में उठते प्रश्नों का हिसाब लेने वाला है
सम्भल जा ये मन कहीं फेल न हो जाना
आगे कहीं चलकर परिणाम आने वाला है

-


20 JUN 2021 AT 11:37

मेरे अंतर्मन में बसते
मेरे पथप्रदर्शक पापा....!
शांत भाव से चलने वाले
हंस-हंस हर ग़म सहने वाले
मुझको नए खिलौने देकर
फटे वस्त्र पहनते पापा
मेरे पथप्रदर्शक पापा....!
रुक जाऊं न कहीं मैं थककर
चलते-चलते जीवन पथ पर
मेरे दुर्बल हुए कदमों में
ताक़त भी भर जाते पापा
मेरे पथप्रदर्शक पापा....!
राहें जब मुझको चिढ़ाए
विफलता जो आंख दिखाए
तभी अचानक हाथ बढ़ाकर
सकरा मार्ग दिखाते पापा
मेरे पथप्रदर्शक पापा....!
कभी चिकित्सक बनने वाले
गुरु कभी बन जाने वाले
कभी रास्ता मैं भटकी तो
उंगली पकड़ चलाते पापा
मेरे पथप्रदर्शक पापा....!
हाथ छुड़ा क्यों खो गएं नभ में
मुश्किल अभी भी पथ है पापा
थे मेरे पथप्रदर्शक पापा....!
हैं मेरे पथप्रदर्शक पापा....!

-


Fetching Renu Sah Quotes