reema bhardwaj   (Preeti Bhardwaj)
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Student
Joined 21 December 2019


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10 FEB AT 23:44

मिठाई तो केवल बहाना था मक़सद
हमारा इस बेजान रिश्ते को महकाना था

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31 JAN AT 23:42

सिर्फ़ तुम और तुम।

तुझे चाहा हर लम्हा
अपनी पल भर की जिंदगी में
हुई दूसरी मोहब्बत तुझसे
सोचा न था होगी कभी
एक ही मोहब्बत थी मेरी
जिसके आंचल में मिलता सुकून
था मिला कभी जो तेरी आंखों में
अब तो ये आंखें भी है नम
हुआ करती दिन रात जिनमे तुम
क्या अब भी याद है हम?
अरे नहीं अब झूठा दिलासा न देना
सुनो हैरानी होगी जान तुम्हें
अब संभल चुके है हम
आना ना दोबारा तुम,
अपने घर का दिया जलाया
तेरे आंगन में हमने
ताकि हो ना बदनाम
इन तंग गलियों में तुम
कह देते हमसे जाना है तुम्हें
छोड़ आते उस राह
था जहां जाना तुम्हें।

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7 JAN AT 17:53

जहाँ सिर्फ सुकून का इंतजार किया जाता था
वैसा अब रविवार नहीं आता
ज़िम्मेदारी ने जकड़ कर रखा है
अब रविवार आ भी जाए तो आराम नहीं मिलता
माँ- बाबा के साथ हस्ते खिलखिलाकर
खेलने का समय हुआ करता था
ना जाने अब वो रविवार कहाँ खो गया
बैठ दादी संग सुना करते कहानी कभी
न जाने कब इतने बड़े हो गए....
सुनाया करती जो कहानियाँ कभी
है वो कहानी अब
रविवार वो याद आता है जब...

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25 DEC 2023 AT 22:48

आते हो अब तो आओ ना...
हू्ंं मैं अब भी वहीं था जहां खड़ा
थी बेवज़ह हूं खुदसे ही मै खफ़ा...
जाने किस मोड़ पे मै आ गई
आना था अब तो आओ ना
क्यों करते हो जाने का जिक्र तुम
कह दो ना अब भी मेरे हो
क्यों सताते हो तुम ओ... पिया.....
हां मैं थी पहले ही तेरी
हाँ हूं मै तेरी आज भी
हो कर तेरी यूं तुझमे ही
जा बसी है ये जान... मेरी

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16 DEC 2023 AT 10:58

ऐसा क्या हुआ
जो चले गए तुम
थी उम्मीद आने की
वो होती चली जा रही ख़तम अब
है बेजान, बनाम, बेपरवाह से हम
बिन तुम्हारे हो सके तो लौट आना
ज़रा आँखों में है बसाना तुम्हें
करेंगे ज़िक्र तुम्हारी सांसों का
जाने के बाद तुम्हारे
है बरबाद तेरे बाद भी हम।

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9 DEC 2023 AT 21:52

छुपाया ज़ुल्फ़ ने चेहरा तो शोख़ी ने किया ज़ाहिर
रखा संभाल कर जिन्हें था वो इक मुसाफिर।

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17 OCT 2023 AT 0:47

देख, कहां आ गए हम
तेरे सफ़र को
अपनी मंज़िल समझ
अब तो ये सिलसिला भी
तेरा हो लिया हुआ करता
जो मेरा कभी
हां, बात न रही अब पहले जैसी
लेकिन है मीनारें वही
हुआ करती जहां
हमारी निशानियां कभी

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17 OCT 2023 AT 0:34

देख कहां आ गए हम
तेरे सफ़र को
मंज़िल समझ
अब तो ये सिलसिला
भी तेरा हो लिया
हुआ करता
जो मेरा कभी
हां, बात न रही
अब पहले जैसी
लेकिन, है मीनारें
वहीं हुआ करते
जहां निशान
हमारे कभी।

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7 OCT 2023 AT 21:43

जन्म लेना भाग्य की बात है
मृत्यु आना समय की बात है
पश्चात् मृत्यु के लोगों के दिलों मे रह जाना
यह कर्मों की बात है।

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19 SEP 2023 AT 8:58

ना... रख चाह इस ना चीज़ की
है जो बेवफ़ा अपने ही वज़ीर की।।

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