साथ ही थे, मगर साथ नहीं
बातें हुईं फिर बात बनी
मिले जब हम तुम, याद बनी
यादों को देख कर कुछ और यादें बनी,
महसूस किया प्यार को, वादे हुए
वादे टूटे नहीं,टल गये
समस्याओं के हल हुए
जो शेष हैं, उनको सुलझायेंगे
हाथ थाम कर रखिए, हम यूँ ही चलते जायेंगे
पतझड़ भी अच्छा लगता है, तुम्हारे साथ
बसन्त की फिर क्या ही होगी बात
होनोलूलू से इस्तांबुल सब घूम कर आयेंगे
हाथ थाम कर रखिए, जीवन पर सफ़र निभायेंगे
-