Ravikant Belekar   (7R)
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कुछ नहीं हैं बताने को।
b'day 7Aug🎂
#writer
#rk7
Joined 24 December 2019


कुछ नहीं हैं बताने को।
b'day 7Aug🎂
#writer
#rk7
Joined 24 December 2019
29 JUN 2023 AT 16:24

जमाने से न पूछो मुल्कियत हमारी,
ये जवानी का जोर अब हजम नहीं होता,
और ये शराब शबाब तो बे-मकबूलियत हैं,
कमबख्त तुम्हारी आँखों का नशा तो खत्म ही नहीं होता।

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30 JAN 2023 AT 22:32

कभी कुछ आसूं गिरे तेरी साख में,
यूँ मिलना मुनासिब तो नहीं मेरे हाथ में,
हर रोज जाने कितने ही शब्द लिखता हूं,
पर खुदा का शब्दकोश नहीं हैं मेरे पास में,
थी उम्मीदें की मिल जाते कभी उस राह में,
छोड़ जो हम घर आये थे इस पनाह में,
पा लेते तुझे हम भी इस कदर खामोशी से,
जो वक़्त न लगता शौकीयत के गुनाह में,
मिलना था आशियानों के भंवर में,
खुदा ने चाहा किसी गैरत से शहर में,
लिख तो लेते तुझे हम पूरी कायनात में,
उसने हाथ थाम हमें कर लिया अपनी सबर में।

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6 JUL 2022 AT 19:52

तेरी नजर ने पहचान लिया मुझको कातिल,
वरना गुनहगार हम आज भी नहीं थे,
चोरी में हाथ तूने भी लगाया था,
उसमें शुमार सिर्फ हम अकेले तो नहीं थे।

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27 JUN 2022 AT 21:30

कैसे नशा दूर करू मैं तेरा,
की तू मिले तो बन जाए किरदार,
तेरा नशा अगर हो जाए खत्म,
तो तू बन जाएगा मेरा पहला प्यार।

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28 MAY 2022 AT 22:30

कभी समय मिले तो मिलने आना,
अब ये तन्हाई साथ नहीं देती,
गर आओ तो कुछ जुगनू उधार लाना,
अंधेरे में परछाई भी साथ नही देती।— % &

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21 MAY 2022 AT 6:08

ऐसी एक वो शैली हैं,
जो गजब की पहेली हैं,
बोली जिसकी बड़ी सुरीली हैं,
कुछ शैतान तो कभी अलबेली हैं,
ऐसी एक वो शैली हैं,
जो पूरी कायनात में फैली हैं,
शांत स्वभाव सी रसीली हैं,
साहित्य सी रंगीली हैं,
ऐसी एक वो शैली हैं,
जो सुलझ न पाए ऐसी पहेली हैं।— % &

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19 MAY 2022 AT 17:31

मिले जो फुरसत तुम्हें तो बात हिंदी में करने आना,
यूँ बार-बार शायरी उर्दू में नहीं कहीं जाती।— % &

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8 APR 2022 AT 15:52

तुम हमसे मिले कोई खास बात तो नहीं,
देखा ऐसे चारो ओर कोई आसपास तो नही,
फिर उस शाम को याद करने को कह रहे हो तुम,
मोहतरमा तुम कहीं गलतफहमियों के शिकार तो नहीं।— % &

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8 APR 2022 AT 15:08

कुछ खामोश सा तेरा ये शहर हैं,
लगता पंछियो से भी तेरा बैर हैं,
ना सड़को में तेरे लोगो की सैर हैं,
शायद चाहने वाले सारे तेरे गैर हैं।— % &

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8 MAR 2022 AT 18:50

ममता की मुरत हैं वो,
प्रेम सी सूरत हैं वो,
लड़े जो यमराज से भी,
ऐसी शक्तिस्वरूवा हैं वो,
अच्छाई का प्रतीक हैं वो,
सच्चाई सी सटीक हैं वो,
करे मानव को साकार जो,
भगवान का दूसरा अंश हैं वो,
इस धरा की स्रोत हैं वो,
अनेक रूपों में प्रोत हैं वो,
गुजारिश करने से भी ना मिले,
ऐसा एक पवित्र उपहार हैं वो,
निश्छल जीवन सी कहानी उसकी,
कभी अम्मा कभी पत्नी कभी बहन,
कभी बेटी तो कभी भवानी जैसी,
ये महिलाओं की निशानी हैं कुछ ऐसी,
ये लोगों की सोच से परे हैं,
ये वही हैं जिनसे भगवान भी डरे हैं।— % &

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