लोगों की भीड़ में उसे मेरी और मुझे उसकी
नज़र रही थी तलाश
दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी
मिलन की घड़ी आई जब पास
ना उसने मुझसे और ना मैने उससे कुछ कहा
फिर भी मेरा दिल उसने खामोशी से ले लिया
जब जाने लगी वो तो मुड़ के उसने मुझे
एक बार चुप से जो देखा था
बस उसकी उसी अदा पे दिल अपना मैं
उसे दे बैठा था
मुहब्बत दोनो की ख़ामोशी से बात करेगी
कांटों भरी ज़िंदगी कुछ देर तो गुलाब बनेगी
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