Ravi prakash Mishra   (माटी)
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Joined 26 May 2018


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Joined 26 May 2018

दीपक में तुमसे जोत है
दुनिया में तुमसे भोर है
तुमको ही देखता हूँ मैं
तुम से हृदय विभोर है

कही राम रूप में प्रभु
रघुकुल के तुम अबीर हो
कही कृष्ण रूप में प्रभु
तुम ही माखनचोर हो

शेष अनुशीर्षक में 👇

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14 HOURS AGO

मैं तुम्हें अनूठी कहूँगा
तुम्हें याद दिलाऊँगा
तुम विशिष्ट हो
प्रेम और करुणा से भरी हो

दुनिया आलोचकों से भरी है
निंदा आलोचना में जब तुम उदास होंगे

मैं तुम्हे याद दिलाऊँगा
तुम विशेष हो अनोखी हो
तुम कर सकती हो हँस सकती हो

क्या तुम प्रेम का इतना अंश दे सकोगी
जब कभी तुम्हें प्रेम की जरूरत हो
तुम्हें सराहना की जरूरत हो
तो कह सकूँ तुम सबसे अच्छे हो

मैं प्रेम में इतना ही चाहता हूँ
मैं प्रेम में इतना ही मांगता हूँ

क्या इतने उदार बन सकोगे
प्रेम में इतना कर्तव्य दे सकोगे
कि मैं अधिकार से तुम्हे कह सकूँ बता सकूँ
तुम मुस्कुराते हुवे बहुत अच्छे लगते हो

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21 HOURS AGO

सुनो मैं बताता हूँ तुम क्या हो मेरे
आंसू हँसी दायित्व हो हमारे

तुम्हे चाहने में तुम्हे पाना नही है
मेरे इश्क़ में आजमाना नही है

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YESTERDAY AT 9:11

मैं सुदामा होना नहीं चाहूँगा
तीनो लोक का क्या करना
धन संपदा में क्या रमना

माधव..मैं चुनूँगा शबरी होना
हाँ प्रतीक्षा का परम होना
फिर तुम्हें पा लेना

माधव..मैं चुनूँगा मीरा होना
जग गंवा के सर्वस्व पा लेना

शेष अनुशीर्षक में 👇

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1 MAY AT 23:34

बात बहुत थी कह नही पाया
अगर हो सके पढ़ लेना

कहना बहुत था कह नही पाया
उनको भी समझ लेना

शेष अनुशीर्षक में 👇

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1 MAY AT 16:19

पहचान मेरी राधा मेरा भाव तुम्ही राधा
तुमसे मिलकर जुड़कर मैं होता हूँ पूरा

मेरा प्रेम तुम्ही माधव मेरा रूप रंग माधव
पहचान मेरी माधव मैं राधामाधव माधव

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28 APR AT 19:53

हाँ मैं मुग्ध हूँ तुम पे तुम्हारी खूबसूरती पे
तुम्हारे रक्तिम अधर सुनहलापन लिये बदन पे

तुम्हारी आँखे तुम्हारे अंग तुम खूबसूरत हो
विधाता की लिखी सुंदर सजीव कविता हो

मैं इस पर मुग्ध नहीं हूँ इसमें तुम्हारा क्या
ये तो तुम हो विधि ने उपकार किया उपहार दिया

मैं मुग्ध हूँ जो तुमने अर्जित किया
जीवन संघर्षो में द्वन्दों में तप कर

स्वयं को सोने में मढ़ा सुसज्ज किया
स्वयं को प्रकृति में बदल लिया

जो तुमने रूप लिया स्वयं को अनुपम किया
स्वयं का प्रेम से श्रृंगार किया

शेष caption में 👇

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28 APR AT 16:06

तुझ में ढूढ़ लूँ मैं अपनी हर ख़ुशी
किस्मत तू मेरी आ तुझको चूम लूँ

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28 APR AT 13:21

सुनो पवन तुम मिल के आना
उनसे जो मेरे हो न सकेगे

उनसे कहना तुम खुश रहना
यही दुआ हम करते है

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28 APR AT 13:14

सारे जगत को प्रेम से भर दे नाम वो राधा माधव है
प्रेम धरा पर अवतरित हुवा था नाम वो राधा माधव था

प्रेम की अमर परिभाषा है नाम वो राधा माधव है
सकल विश्व में प्रेम भरे जो नाम वो राधा माधव है

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