Ravi Kumar Shaw   (रवि कुमार साव)
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Write poem, study books, teaching children
Joined 21 June 2017


Write poem, study books, teaching children
Joined 21 June 2017
29 JUN 2021 AT 16:09

जितनी दफा देखू तस्वीरें तेरी
मधुर स्मृतियां याद आ जाती है।
ख्वाब हो या हो हकीकत
हर जगह तू ही नजर आती है।

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4 JAN 2021 AT 15:50

तू होना चाहती हो किसी ओर की
तो किस उम्मीद में तेरा इंतज़ार करू ?
आज भी मोहब्बत तुमसे ही है
तो किसी ओर से क्यों प्यार करूं ?
-✍️रवि कुमार साव

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29 DEC 2020 AT 7:41

जिंदगी एक समुदर है
जिसका एक ही किनारा है।
सुख तो कोरि कल्पना है
चारों ओर दुःख का नजारा है।
-✍️ रवि कुमार साव

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17 DEC 2020 AT 13:09


" हर्षिता "
हुनर की है वो शहजादी
हर्षिता है जिनका नाम ।
घुमने फिरने की शौकीन है वो
करती सिद्त से सारे काम।

साहस और आत्मविश्वास से परिपूर्ण
देती है हर मक़सद को अंजाम।
शॉपिंग, स्विमिंग में रखती रूचि
फैशन डिजाइनर का करती काम।

स्वादिष्ट भोजन बङे चाव से खाती
पर रखती अपने सेहत का ध्यान।
उनके मधुर आचरण और व्यवहार का
हम करते हैं दिल से सलाम।
✍️- रवि कुमार साव


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29 NOV 2020 AT 8:44



" ये दिल "
ये दिल अपना नहीं है
फिर भी इसे सीने से लगा रखा हूं।
तुम ही बनोगी मेरी नायिका
यही ख्वाब सजा रखा हूं।

नामुरादे इश्क के बाज़ार में
तेरी तस्वीर लगा रखा हूं।
हाथों के लकीरों में सिर्फ
तुम्हारा नाम लिखावा रखा हूं।

ताजमहल तो ना सही पर
एक सुंदर आशियाना बना रखा हूं।
ये दिल अपना नहीं है
फिर भी इसे सीने से लगा रखा हूं।
✍️- रवि कुमार साव





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23 NOV 2020 AT 21:15

मौसम तो बेईमान है साहब
जो क्षण भर में बदल जाती है।
जिस पर हम करते हैं भरोसा
वहीं हमको हर बार रूलाती है।
-✍️ रवि कुमार साव

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31 OCT 2020 AT 16:49

" अधूरी मोहब्बत "
जिसे आज भी चाहते हैं हम
वो कल किसी और के साथ घर बसाएगी।
तोङ कर मेरा नाजुक दिल
वो किसी और के नाम की मेहंदी लगाएगी।

बुलाकर मुझे अपने विवाह वाले दिन
वो किसी और के साथ विवाह रचाएगी।
मेरे बेपनाह मोहब्बत को वो पगली
उस दिन भी नहीं समझ पाएगी।

रोऊंगा में घुट- घुट कर
लेकिन उसे अपने आंसू नहीं दिखाऊगा।
वादा करता हूं उस पगली से
मरते दम तक मैं उसे ही चाहूगा।
- रवि कुमार साव

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4 OCT 2020 AT 9:54


"बलात्कार और सियासत"
आय दिन होते हैं बलात्कार
और राजनीतिक सियासत जारी है।
हर दिन धरना प्रदर्शन की
करते सभी नेता तैयारी है।

इंसान के वेश में छुपे
ना जाने कितने बलात्कारी है?
समाज में फैले इस गन्दे बीमारी से
बार बार इंसानियत हारी है।

कैंडल मार्च से कुछ नहीं होगा
अब सख्त कानून बनाने की बारी है।
पीङिता को जल्द इंसाफ मिले
यह न्यायलय की जिम्मेदारी है।
✍️ -रवि कुमार साव

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15 SEP 2020 AT 8:27

" अलविदा "
अलविदा कह कर जिस दिन
तुमने मुझे रूलाया था।
उस दिन मैंने तुम्हारे सारे
तस्वीरों को जलाया था।

जगाकर मेरे दिल के जज़्बातों को
तुमने मेरे मोहब्बत को ठुकराया था।
उस दिन प्राकृतिक ने भी बेझिझक
आंसू का अमबार बहाया था।

आरोप-प्रत्यारोप का एक ऐसा
पीङादायक दिन आया था।
अपने सारे सोशल अकाउंट पर
तुमने मुझे पर प्रतिबंध लगाया था।

अलविदा कह कर जिस दिन
तुमने मुझे रुलाया था।
उस दिन मैंने खुद को
बहुत बेबस और अकेला पाया था।
✍️-रवि कुमार साव

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23 AUG 2020 AT 17:26

उन्होंने तो इलायची समझकर
मुझसे नफरत करने शुरू कर दी।
आज समझ में आया साहब
इलायची इतने महंगें क्यों है?

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