Ranu Sharma   (Ranu sharma)
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Joined 29 March 2021


Joined 29 March 2021
6 DEC 2021 AT 17:58

सुनो, कभी मिलने आओ तो उसी नदी किनारे मिलना , तुम आओगी ना ...............

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21 NOV 2021 AT 14:48


आत्महत्या
( अनुशीर्षक में पढ़ें)

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18 NOV 2021 AT 20:46

आखिरी खत

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8 AUG 2021 AT 13:55

गर कल न मिलें तुमको
तो शिकायत मत करना
आज इस शहर में
मेरी शाम आखिरी है

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8 AUG 2021 AT 13:48

मैं
लिख देना चाहती हूँ
अपनी आखिरी कविता
अपने कम्पित हाथों से
और मेरे व्यथित हृदय से
उससे पहले
कि अश्रपूरित होते
मेरे नेत्रों से
धुंधले पड़ने लगे
मेरे 'शब्द'
मैं गढ़ देना चाहती हूँ
एक आखिरी कविता
उससे पहले
कि मेरी वेदना के
इस समुद्र
मैं लूँ एक विश्राम
चिर समय के लिए,
मैं विलीन कर देना
चाहती हूँ
स्वयं को 'शब्दों'
के उन्मुक्त गगन में
किसी कारा मे कैद
एक 'विहंगिनी' की भांति

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8 AUG 2021 AT 12:03

कल फिर ऐसे अंधेरे नही होंगे
बारिशें भी नहीं होगी
और लौट जाएगा ये सावन भी

मगर प्रेम वो
फिर भी रहेगा

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7 AUG 2021 AT 18:07

तुम प्रभात की उजली किरण
नवजीवन का संचार कोई

तुम सांझ की सतरंगी आभा
पुलकित सा ठहराव कोई

तुम जमीं पर फैलाती नीरव चांदनी
पूनम की उज्जवल रात कोई

तुम खुद मे अथाह स्नेह लिए
चंचल निर्मल सरिता हो कोई

तुम महकाती मन का कोना-कोना
मोहक सा कोमल पुष्प कोई

तुम कदमों मे थिरकन सी लिए
संगीत का सुरमयी राग कोई

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7 AUG 2021 AT 14:09

शब्द
कभी खत्म
नहीं होते
खत्म
हो जाया करती है
अक्सर
उन्हे जीवंत
करने वाली
'भावनाएं'
और कभी-कभी
खुद शब्द
बह जाया करते
भावनाओं
के 'आवेश' में

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6 AUG 2021 AT 19:09

कितना सूकून देता
यूं ढलते सूरज को ताकते रहना
फिर से अनेकों स्मृतियों मे खो जाना
कुछ सपनों का पलकों पर छा जाना और
अपूर्ण से अहसासों का नयनों से झर जाना

शब्दों का मौन रह जाना
हृदय का फिर से नीरव हो जाना
धुंधले से कुछ प्रतिबिंबों का उभर आना
मेरा भावनाओं मे उलझ स्तब्ध हो जाना और
क्षणभर बाद रेत की तरह सब बिखर जाना

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6 AUG 2021 AT 14:48

तुम छूकर
गुजर जाना मुझे
किसी हवा की तरह
मैं खिल उठूंगी उस पल
किसी गुलाब की तरह

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