Jab koi apna jo hamesha se insult karta aaya ho, jisse hum doori banane ki koshish rakhte hai, gar achanak se vo bimar pad jaye to hume hi aksar usi insaan ki taklif dekhi nahi jati hai.
तो हर कोई अपना बन जाता। सब लेते समझ एक दूसरे को कोई न दर्द से झुलझ पता।
अच्छा भी है और बुरा भी है;
सब खुशी से सुख में ही रहते। दर्द सबके कम हो जाते। लेकिन सुख की कोई एहमियत न रहती दर्द अगर बोल पाता । इंसान सुख की अहमियत न समझ पाता दर्द भी उतना जरूरी है ये समझ न पाता।