हिन्दी भाषा ही नही हमारी पहचान है, इसी से गुरुर और इसी से अभिमान है, प्यार के जिन लब्जों को सहज दिल तक पहुंचा दे वही हिन्दी हमारी मातृभाषा हमारी जान है।
तुझसे मिलकर हाले दिल तुझको सुनाना है, तेरी यादों को पलकों पे नही दिल में सजाना है, कोई पूछे पलक में क्या कमी है साहब तो मै बोलूं ये तो सो जाती है और धड़कन ने कभी रुकना नही जाना है।
रात थी पर पता ना चला, तेरे होने से ऐसी चांदनी छाई थी नींद का तो पता ही नही, खुशी दिल मे इतनी समायी थी तेरे हर इक लब्ज इतने प्यारे लगे मुझे ,ऐसा लगा मृग की कस्तुरी तुममे ही समायी थी।
दुनिया खूबसूरत लगेगी एक बार नज़रें तो उठायें हर तरफ़ चहकेगी खुशहाली पहले हाथ तो बढ़ायें इस जहान को देखना है अगर हरा भरा तो आईये मिलकर एक एक पेड़ तो लगायें.