Rakesh Singh  
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Joined 19 April 2017


Joined 19 April 2017
7 SEP 2021 AT 22:17

I have learned in my life that almost every time things don’t go as per my plan but every time I go as per only my plan with change in process. And that’s how I feel I am living a truly fulfilling and satisfying life.

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20 JUN 2021 AT 12:57

I don't remember, my father has ever shout on me. In fact, he always talks to me politely and respectfully. He always believed in me. For me he is the best father and an ideal family man. I wish I could be a father and family man like him. ❤️

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2 JUN 2021 AT 22:10

तुम्हें ये चाह की,
खूब शोहरत कमाए I
मुझे ये जिद की,
गुमशुदा होते हुए,
नाम कमाए I

#rakeshalotsoflove ❤️

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20 MAY 2021 AT 23:31

सच्चा प्यार बनकर,
कुछ दिन बहुत ख़ुश था मैं I
*
*
अब उसी का कर्ज चुका रहा हूँ मैं I
जीने की चाह में, रोज़ मर रहा हूँ मैं I

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19 MAY 2021 AT 18:55

Grief is nothing but just love with no place to go.
It is like you have enough money in your pocket but materials are not available in the market and you cannot spend it. Grief is all the love that you want to give, but cannot. All that unspent love gathers up in the corner of your eyes, the lump in your throat, and in that hollow part of your chest. So please do not store love within you, just love and spend it openly and selflessly.

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17 MAY 2021 AT 23:38

एक जमाना बीत गया,
मगर क्या जमाना था I

जमाना तो बीत ही जाता है ,
और जो बीत जाता है ,
वह लौट कर नहीं आता है I
बस यादों में रह जाता है I

परंतु हम लौट के जा सकते है,
उस जगह, उन लोगों के बीच,
वो ज़माना ना सही, पर उस जैसा,
नया ज़माना बना सकते है I

कोशिश तो कर ही सकते है,
और शायद ये कोशिश,
इस जमाने में जीने की कोशिश,
से कही ज़्यादा आसान है I

वो ज़माना ना सही, उस जमाने जैसा ही,
नया ज़माना बनाते है I चलो फिर से जीते है I

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7 APR 2021 AT 20:54

Hack your past with forgiveness. Hack your present with mindfulness. Hack your future with “I am enough”.

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5 MAR 2021 AT 11:20

एक अरसा हुआ दोनों को
रिश्ते से आगे बढ़े।
कुछ दिन पहले
उनके साथ रहने वाली
एक दोस्त से पता चला,
वो अब शांत रहने लगी है,
लिखने लगी है,
मसूरी भी घूम आई,
लाल डिब्बे पर अँधेरे तक बैठी रही।
आधी रात को अचानक से
उनका मन
अब चाय पीने को करता है।
और मैं...
मैं भी अब अक्सर
मैक-डी की आलू टिक्की खा लेता हूँ I
कॉफी पी लेता हूँ,
किसी महंगी जगह बैठकर l

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5 MAR 2021 AT 10:56

वो न्यूयॉर्क के टाइम्स स्कवायर, इस्तांबुल के ग्रैंड बाजार में
शॉपिंग के सपने देखती थी,
मैं असम के चाय के बागानों में
खोना चाहता था।
मसूरी के लाल डिब्बे में बैठकर
सूरज डूबना देखना चाहता था।
उसकी बातों में महँगे शहर थे,
और मेरा तो पूरा शहर ही वो।
न मैंने उसे बदलना चाहा
न उसने मुझे।

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5 MAR 2021 AT 10:47

उसे आईलाइनर पसंद था,
मुझे काजल।
वो फ्रेंच टोस्ट और कॉफी पे मरती थी,
और मैं अदरक की चाय पे।
उसे मैक- डी की आलु टिक्की पसन्द थी,
और मुझे गरम समोसे I
उसे नाइट क्लब पसंद थे,
मुझे रात की शांत सड़कें।
शांत लोग मरे हुए लगते थे उसे,
मुझे शांत रहकर
उसे सुनना पसंद था।
लेखक बोरिंग लगते थे उसे,
पर मुझे मिनटों देखा करती
जब मैं लिखता।

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