Rakesh Kumar   (राकेश "राही")
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वरिष्ठ खंड अभियंता, यांत्रिक
Joined 5 May 2021


वरिष्ठ खंड अभियंता, यांत्रिक
Joined 5 May 2021
15 HOURS AGO

में दौड़े जा रहे हैं।
कुछ पकड़े तो कुछ छोड़े जा रहे हैं।।
कुछ खट्टी मीठी यादें जोड़े जा रहे हैं।
स्वयं को समय के साथ मोड़े जा रहे हैं।।

जाना कहां है ये पता नहीं, पर दौड़े जा रहे हैं।
समय की अंधी दौड़ में खुद को खचोड़े जा रहे है।।

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17 HOURS AGO


आज नई है तो कल पुरानी है।।
नए आयामों के साथ नई बनानी है।
ये नए पुराने के फेर ही जिंदगानी है।।
हर सुबह एक नया मौका देती है, एक नई राह गढ़ने का।
धैर्य, साहस, ईमानदारी और मेहनत, माध्यम है बढ़ने का।।

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2 MAY AT 12:45

आपका शांत स्वभाव और सुंदर व्यक्तित्व है।
टीम पर भरोसा किया, आप लीडर परिपक्व है।।
विभागों से सामंजस्य रहा, यांत्रिक को फक्र है।
आपकी सज्जनता का पूरे मंडल भर में जिक्र है।।

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28 APR AT 14:30

झरोखे से झांककर दीदार चाह रहे हैं,
एक झलक पाने को बेकरार चाह रहे हैं।।
वो एक नजर देखते भी नहीं खुलके,
और हम है कि प्यार का इजहार चाह रहे हैं।।

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28 APR AT 13:45

क्यों रूठे हो सनम मान भी जाओ, इस बेरुखी से हमको न सताओ।
क्यों रोक रखे है जज्बातों को दिल में, जो बात है खुलकर बताओ।।

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28 APR AT 10:02

, खुशियों से भरी जिंदगी है।
हर हाल में खुश वो है, जिसकी सत्कर्म से बंदगी है।।

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26 APR AT 22:26

। मौज मस्ती की बात।।

ज्यादा सोचोगे तो मन की बात न कह पाओगे।
ज्यादा व्यवस्थित रहोगे तो खुलके न रह पाओगे।।
विपरीत परिस्थितियों को थोड़ा भी न सह पाओगे।
ज्यादा बंधनों में बंधकर उन्मुक्त हो न बह पाओगे।।

कुछ मनमौजी बन अल्हड़ हो जाना ठीक है।
कप को छोड़ कुछ कुल्हड़ हो जाना ठीक है।।

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25 APR AT 8:33


वाकी तो है सब सपना।।
ईमानदार कर्म और आत्म विश्वास ही अपना है।
मेहनत लगन से ही सफलता का स्वाद चखना है।।

वाकी सब तेरे मन का भरम है।
जिस हालत में है ये तेरे करम है।।

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21 APR AT 12:35

महावीर हैं पर दिया अहिंसा का संदेश।
क्षमा वीरों का है एक आभूषण विशेष।।
सत्य धर्म की राह दिखाई नहीं रहा मन में कोई क्लेश।
त्याग तपस्या के लिए तन पर नहीं रखा कुछ भी शेष।।


देवता जहां अवतरित हुए ऐसा पावन भारत देश।
सत्य ईमान इंसानियत ही है सब धर्मों का संदेश।।

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21 APR AT 8:12


ये वक्त की जरूरत है।।

नफरतों में क्या रखा है, प्यार दे प्यार लें।
न किसी को गम दे, न ही गम उधार लें।।

जब जादू चला दिल के आशियाने पर।
फिर गम के जाम क्यों छलके मयखाने पर।।

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