Rajesh Singh   (Writer Rajesh singh)
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Working as a clerk in Punjab haryana high court।
Joined 23 July 2022


Working as a clerk in Punjab haryana high court।
Joined 23 July 2022
30 APR AT 20:57

दूर तुमसे मैं कभी कहीं जाना नहीं चाहता।
गीत तो बहुत हैं मन में मेरे पर बिन तेरे
गुनगुनाना नहीं चाहता। चाहत आप ही हो हमारी।
तुमसे तो बहुत बार कह दिया पर जिनको कद्र
नहीं है मेरी उनको बताना नहीं चाहता

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28 APR AT 7:08

जिंदगी के जिस सफर पर हम चले हैं।
कोई भी अब तक समझ नहीं पाया।
काम क्रोध लोभ मोह और अहंकार ने
शायद सभी को अंधा है बनाया।न आदि का
पता है हमें न अंत का, अकेले हो बिल्कुल तुम
इस जहान में कुछ भगवन का चिंतन कर लो
सदियों से संतों ने बार बार यही है समझाया
पर न जाने क्यों इस दुनिया की चकाचौंध में
कुछ भी समझ ना आया

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25 APR AT 20:23

फूलों का शौक है तो कांटो को सहन
करना भी सीखो। मिलन का शौक है तो
बिछड़ने का दर्द भी समझो। हम तो प्यार
में पड़कर रातों की नींद और दिन का चैन
खो बैठे हैं। मिलना बिछड़ना तो ज़माने की रीत
है महफिल में तो सभी मुस्करा लेते हैं पर बात तो तब
है जब तन्हायों से दिल लगाना सीखो

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19 APR AT 20:27

हसीन दिल और दिमाग के पीछे
एक हसीन चेहरा छिपा रखा है तुमने।
पर प्यार तो सिर्फ तुम्हारी समझदारी
और विवेकशीलता से किया है हमने।
ज़िन्दगी धूप और छांव का खेल है
तकलीफ न हो तुम्हे कभी भी इसलिए आ सकते हो तुम
करीब क्योंकि प्रेम का छाता लगा रखा है हमने

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18 APR AT 22:46

इंसान सभी उलझे हैं अपनी अपनी
समस्यायों में, घर गाड़ी बंगला पैसा
नौकरी स्वास्थ्य स्टेटस रुतबा जमीन
मान सम्मान,अगर कोई नेता हुआ तो
उलझा है बड़ी बड़ी रैलियों और सभाओं में।
सोचा है कभी इंसानों के अलावा बाकी जीवों
की जरूरतें कितनी कम है, वो तो इतना
साधारण जीवन जीते हैं कभी नहीं उलझते
इंसानों की तरह,तरह तरह की दवाओं में।
लोगों ज़रा बाहर निकलो और आयो कभी गांवों
की तरफ देखो ध्यान से कितना प्रदूषण है
इन शहर की हवाओं में, चैन की सांस जरूर
लोगे तुम जब सांस लोगे गांव की फिजाओं में।

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18 APR AT 21:17

ये दिल तेरी यादों के साए में
हमेशा डूबा रहता है। मंजिल नहीं
चाहिए हमें जिस मंजिल पर तेरा साथ
ना हो मेरे हाथ में तेरा हाथ न हो। नज़ारे
हमें अब लुभाते नहीं तू हमसे बेशक खफा रहे
पर प्यार है तू हमारा इसलिए किसी को ये बताते नहीं

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18 APR AT 21:10

हमें मालूम न था की इतनी मोहब्बत है तुम्हे
हमसे। वरना कब का मांग लेते हम तुम्हे रब से

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18 APR AT 21:08

ठीक है

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18 APR AT 19:32

प्रेम त्याग का दूसरा नाम है।
तुझे देखूं तुझे चाहूं बस तुझे
ही प्यार करूं अब भला इसके
सिवा मुझे कौन सा काम है। माना की
तुमने एक अरसा हमारा इंतजार
किया पर हमने भी तो दिल को आपके
लिए कितना बेकरार किया

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15 APR AT 20:46

मैं सारे जहां में हूं मैं इस अंतहीन आसमान में
हूं। समन्दर की गहराई में भी में ही बसा हूं ।
हर जीव में पर्वतों में पेड़ों में पथरों में भी।
बस मैं ही समाया हुआ हूं। काली रात में सदा मैं
रहता हूं। दिन के उजाले में पक्षियों की चहचहाट में
मैं ही सब कुछ कहता हूं। अब ढूंढ लो वो जगह
जहां मैं नहीं हूं। ना मंदिर में ना चर्चों में ना काबा
और ना कैलाश में मैं तो बसा हूं हर सांसों की सांस में

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