इंसान सभी उलझे हैं अपनी अपनी
समस्यायों में, घर गाड़ी बंगला पैसा
नौकरी स्वास्थ्य स्टेटस रुतबा जमीन
मान सम्मान,अगर कोई नेता हुआ तो
उलझा है बड़ी बड़ी रैलियों और सभाओं में।
सोचा है कभी इंसानों के अलावा बाकी जीवों
की जरूरतें कितनी कम है, वो तो इतना
साधारण जीवन जीते हैं कभी नहीं उलझते
इंसानों की तरह,तरह तरह की दवाओं में।
लोगों ज़रा बाहर निकलो और आयो कभी गांवों
की तरफ देखो ध्यान से कितना प्रदूषण है
इन शहर की हवाओं में, चैन की सांस जरूर
लोगे तुम जब सांस लोगे गांव की फिजाओं में।
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