हौसले थे बचे कुछे
जो आज समय के दायरे मे आकर ख़्वाबों के निचे गढ़ चुके है,
हिम्मत तो यु ही टूट गई थी
हमारी अब हारने के लिए आगे हम बढ़ चुके है.
टूटे हुए इस दिल की कश्ती को
मोहबत का आज कोई किनारा ना मिला,
गिरे हुए इस बेकार के जज्बातों से भरे इस बदन को आजतक कोई भी सहारा ना मिला
सहारा ना मिला...
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