हम आशिक़ हैं यारो,
आशिक़ी के बिना हमारा कोई सहारा नहीं।
कहीं दूर निकल चुके हैं मोहब्बत की राहों में,
अब उस बिन जीना गंवारा नहीं।
साथी है वो और वो ही है सफर,
अब लगता उससा कोई प्यारा नहीं।
बहते फिर रहे हैं मैदानों में कहीं,
अब इस नदी का कोई दूसरा किनारा नहीं।
मजहब नही, जिस्म नहीं,
सिर्फ उसके एहसासों से है वास्ता,
वो ही बसा है इस दिल में, और उसके बिना कोई दूसरा हमारा नहीं।
हम आशिक़ हैं यारो,
आशिक़ी के बिना हमारा कोई सहारा नहीं।...
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