Raj  
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Joined 23 June 2019


Joined 23 June 2019
27 FEB 2021 AT 11:14

मंज़िल में है थोड़ी दूरी ,
सपनों से है थोड़ा फासला !
हौसलों की भरी है उड़ान अभि,
पाने को खुशियों का आसमां!

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24 FEB 2021 AT 23:52

Ye jo badh gayi hai najdikiya,
Ek dusre ke paas aane se.

Bada achha hai silsila,
Bite yaadon ko mitane ka.

Thodi masti thoda majak aur hogni thodi nadaniya,
Par ban jaye na ye kahani,
Gam me dub jane ka.

Baatein hongi lambi, raatein hongi lambi...
Na aayengi kaano me avaj,
Papa mummy ke bulane se...

Milne ki hogi chahat, raha na jayega pal bhar,
Ehsason ke panne khulenge... WhatsApp ki jubani se...

Par thoda sambhalna dosto yun na badlana dosto...
Kyunki ishkq ki paheli nahi sulajhti suljhane se...

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11 JAN 2021 AT 17:38

जलती थी कभी मन में आशा की जो एक किरण,
उसे अब गम के झोंको से बुझा दिया।

जिन हालातों से लड़ा करते थे पहले,
उनसे समझौता करना सीखा दिया।

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23 APR 2020 AT 21:55

माना दिल को बहलाने का बहाना पुराना हुआ,

तुम्हारे सामने खड़ा ये दीवाना पुराना हुआ,

शायद वो नग्में भी नही है सुनाने को अब..

पर मत भूल मेरे दिल की हर एक धड़कन को,

क्यूंकि आती-जाती हर सांस का मेरे जिस्म में,
बस तू ही एक अफसाना हुआ।

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11 APR 2020 AT 13:37

उसे सुनने का वो एहसास पहली बार,
हां! अब भी याद आता है।
बिन देखे जो चाहा था उसे,
वो ख्वाब अब भी सताता है।
जिन आंखों ने बसी थी पहचान उस चेहरे की,
वो आज भी भर आता है।
कितनी भी क्यूं ना बढ़ गई हो
रिश्तों में दूरियां आजकल!
पर हां! उस संग बिताया अब भी
एक-एक पल याद आता है।

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26 DEC 2019 AT 20:35

दिल मेरा कहता है उसका दिल दुखाया ना कर,
करता है तू प्यार फिर भी उसे जताया ना कर,
नही है मोहब्बत उसके दिल में तो भूल जा,
पर बार-बार एहसास दिला कर उसे रुलाया ना कर।

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13 DEC 2019 AT 23:15

शब्दों में कर सकूं तुम्हें बयां,
वो शब्द नहीं मेरे पास।

किसी कहानी सी हो तुम,
और इस कहानी का हर हिस्सा है बहुत खास।

प्यार सा है मन तुम्हारा,
और खूबसूरत है हर अदा।

लिखती हो तुम लाज़वाब,
और तुम्हारी लेखनी का कुछ अलग ही है अंदाज़।

सादगी की पहचान हो तुम,
और थोड़ा मजाकिया सा है तुम्हारा मिजाज़।

कोशिश तो थी कि लिख दू तुम्हे हूबहू,
पर तुम्हें उतार सकूं कागज़ पर, ऐसे नहीं हैं मेरे अल्फ़ाज़।

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4 DEC 2019 AT 17:05

हम आशिक़ हैं यारो,
आशिक़ी के बिना हमारा कोई सहारा नहीं।

कहीं दूर निकल चुके हैं मोहब्बत की राहों में,
अब उस बिन जीना गंवारा नहीं।

साथी है वो और वो ही है सफर,
अब लगता उससा कोई प्यारा नहीं।

बहते फिर रहे हैं मैदानों में कहीं,
अब इस नदी का कोई दूसरा किनारा नहीं।

मजहब नही, जिस्म नहीं,
सिर्फ उसके एहसासों से है वास्ता,
वो ही बसा है इस दिल में, और उसके बिना कोई दूसरा हमारा नहीं।

हम आशिक़ हैं यारो,
आशिक़ी के बिना हमारा कोई सहारा नहीं।...

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25 NOV 2019 AT 16:50

मुसाफिर हूं मेरे ठहरने का कोई ठिकाना नही।
मंज़िल पाने की है चाहत और खुद से कोई बहाना नही।

किसी के नज़रों में अच्छा बन सकूं या नहीं,
पर दूसरों को बुरा बनाना नही।

है ये सफर अलबेला सा, यहां रुकना या सुस्ताना नहीं।
मुसाफिर हूं मेरे ठहरने का कोई ठिकाना नही।

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24 NOV 2019 AT 10:54

आज कल के इंसान की बड़ी अजीब है फितरत,
पल भर में प्यार और पल भर में नफरत!

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