हुआ है तुमसे मिलने के बाद ये मालुम कि तुम
नहीं थे तो मैं था तन्हा, बैसहारा,
अब से तेरी चाहत है मेरा मुकद्दर
मुझे राहत मिलती है तुम्है अपना सोच कर
न जाने कब ये मुकद्दर मैरी मंजिल बनेगा
ये इश्क है मेरी जान तुम्हारे अलावा तो अब
मुझे किसी से नहीं होगा मेरे सीने में अब
दिल नहीं तुम धड़कते हो
ये हकीकत है मेरी कोई झुठी दिलासा नहीं
अब एक नहीं सात जन्म साथ निभाना है
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