"गुजरे उस पल को ही हम गाते रहते हैं शामो सुबह
आज मैं जी भी रहे हैं हम औरों का तो छोड़ो
हमें खुद भी नहीं यें पता
तो जिस पल में सुकून मिले उसे जी भर के जी लेना
क्या पता फिर कभी वो पल मिले या मिले ही ना
किसे पता गुजरा वो पल अच्छा था या बुरा
उसे जीते वक्त क्या कभी अच्छे बुरे का एहसास हुआ..!!
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