तुम कुछ कहती क्यो नही तुम्हें चुप देख कर मेरा दिल बैठा जा रहा है मैं तो बैठा हूँ तुम्हारे सामने फिर तुम्हारे ख्यालो में कौन सता रहा है अगर मोहब्बत नही है हम से तो कहती क्यो नही फिर हमें क्यो नजरों के सामने बैठा रखा है | mere_alfaaz_7716
मेने इश्क़ में इनायत मांगी है मेरा इश्क़ मुक्कमल कैसे होता मेरी रब से फरियाद भी अधूरी थी तो पूरा इश्क़ मुकम्मल कैसे होता मेरा प्यार भी इक-तरफा था तो यार, अजीज कैसे होता ओर आइने को कह दु बे-वज़ह बे-वफ़ा में तो बे-वफ़ा चेहरा भी मेरा होता ! mere_alfaaz_7716
इश्क़ इक-तरफा था मैं जमाने को बे-वफ़ा कैसे कह दू जो अपना था ही नहीं, उसे अपना कैसे कह दू मैं ओर चेहरा देखूं अगर आईने में खुद के चेहरे को बे-वफ़ा कैसे कह दू मैं mere_alfaaz_7716