यह बाइनरी डिजिट का सफ़र है
यह शुन्य और एक के बीच की डगर है
सारा जहां ही इस में सिमट जाता है
मीलों का सफ़र सेकेण्ड में तय हो जाता है
दिन और रात का अंतर खत्म हो गया है
हर कार्य कम्प्यूटर से हो गया है
कहीं ज़िन्दगी मशीन बन गई है
तो कहीं मशीन ज़िन्दगी बन गई है
जितनी आसानियां हो गईं हैं
मुश्किलात भी उतनी ही बढ़ गईं हैं
ऐ इंसान मशीन पर निर्भर ना हो जाना
वरना पड़ेगा तुझे एक दिन बहुत पछताना
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