इन बेबाक से आंखों में कई रश्क छुपे हुए है ख़ामोशी मे जो लबों पे लश्क लिए हुए हो कभी ठहरो किसी वजह पे तो तुमसे तुम्हारी बात करेंगे बीते पुराने किस्सों की भी फ़रयाद करेंगे तुम-तुम ना सही मगर उस गुजरे जमाने को याद करेंगे
पुराने पन्नों की कहानी होती कईयों के हिस्सें में हैं मुझे तो नए किस्सों की रवानी बन्ना था किसी कि उमरे गुज़री इश्क़_ए _शराफ़त मे तो कोई जिरहा है हरफ़_ए _इबादत मे
हर बार एक नया सवेरा देती है मंजिल दूर है तो क्या हुआ इन रास्तों पे मैं ही बस अकेला नहीं गुम हैं कई लोग पहचान बनाने से गुमनामी मे तुम यकीन रखों अपनी कहानी पे की तुम्हें तुम्हारी मेहनत खुद छोड़ आयेगी तुम्हारे क़िस्मत के दरवाज़े पर।।
मैंने लिखा तुम्हे कुछ इस तरह है कि मैं मिली नहीं तुमसे कभी फिर-भी तुम्हें जानते मेरे सभी क़रीबि है तुम वो कहानी हो जो मेरे हर चाहने वाले की तलाश मे हो।