Raghav Rawat   (༒ "तन्हा" ༒.........✍)
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हर घड़ी चश्म-ए-ख़रीददार में रहने के लिए

कुछ हुनर चाहिए बाज़ार में रहने के लिए...
Joined 26 August 2018


हर घड़ी चश्म-ए-ख़रीददार में रहने के लिए

कुछ हुनर चाहिए बाज़ार में रहने के लिए...
Joined 26 August 2018
1 APR 2022 AT 17:27

धूं-धूं जलते रहते हैं मग़र, ग़म मेरे ये ख़ाक नहीं होते,
एक तजुर्बे से सीखा है मैंने, के हवाओं में सुराख़ नहीं होते।

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31 MAR 2022 AT 21:00

कभी खुशियों से सीखा, तो कभी दर्दों से सीखा है,
मायने क्या हैं जिंदगी के, ये मैंने तजुर्बों से सीखा है।

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29 MAR 2022 AT 19:00

मेरी मुहब्बत मेरी रुस्वाई की तश्हीर बन गयी !
मेरी तसनीफ़ मेरे ग़म की तफ़्सीर बन गयी !!
तू किस क़दर काबिज़ है मेरी सोच पर ज़ालिम !
मैं चला था ग़ज़ल लिखने, तेरी तस्वीर बन गयी !!

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29 MAR 2022 AT 16:31

हमें था इश्क़ उनसे, हमको जतलाना नहीं आया !
वो समझे नहीं और हमको समझाना नहीं आया !!
हमारा हाल-ए-दिल वो जान कर भी चुप रहे तो क्या ग़िला !
हमारा हाल-ए-दिल हमको भी तो बतलाना नहीं आया !!
बिना सोचे बिना समझे हम उनके काम ही आते रहे !
कभी एहसान करके हमको गिनवाना नहीं आया !!
हम अपनी बेबसी पे हँस दिए खाते हुए उनसे फरेब !
दग़ा देते हुए उनको भी शरमाना नहीं आया !!
टूटा जो दिल तो क्या गिला, दिल का ही तो कुसूर था !
हमने लाख रोका, दिल को रुक जाना नहीं आया !!

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24 MAR 2022 AT 19:04

गिरते हुए को उठाया बस उसने।
मेरी तरफ हाथ बढ़ाया बस उसने।
मंजिलें तो सबने दिखाई़ं मगर,
रास्ता जो दिखाया बस उसने।
रोका जाने से पहले सबने,
पर वापस बुलाया बस उसने।
तसल्लियां तो दी सबने मगर
गले से लगाया बस उसने।
वादे तो सबने किये मगर
वादा बस निभाया बस उसने।
आरज़ू रोशनी की सबकी रही,
चिराग जलाया बस उसने।

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12 MAR 2022 AT 18:09

पर बदल रहे हैं, परवाज बदल रहे हैं।
इश्क़ में लोगों के अंदाज बदल रहे हैं।
मिला करते थे जो कई पर्दों में हमेशा
वक्त के साथ उनके लिहाज बदल रहे हैं।

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11 MAR 2022 AT 7:06

इस समंदर में जरा गहरा उतर कर देखो।
तुम ज़रा प्यार की राहों से गुज़र कर देखो।

ख़ंजर भी हो तुम तो सीने में समा लेंगे तुम्हें
पर ज़रा प्यार से बाँहों में तो भर कर देखो।

कौन कहता है कि मैं प्यार के क़ाबिल ही नहीं
अपने नजरिये को थोड़ा-सा बदल कर देखो।

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4 MAR 2022 AT 22:03

कोशिशें जारी रखिए कुछ न कुछ एक दिन मिल ही जायेगा।
चलते रहिए खुद ब खुद रास्ता एक दिन मिल ही जायेगा ।
किसी प्यासे को घर बैठे कभी कुछ नहीं मिला करता,
चलिए खोजते रहिए,दरिया एक दिन मिल ही जायेगा।
कभी भी ग़िडग़िडाने से कोई नहीं पिघला करता,
भरोसा रखिए खुद पर, रुतबा एक दिन मिल ही जायेगा।
लड़खड़ाईये फिर सभंलना भी सीखते रहिये,
आसमां को छूने का मौका एक दिन मिल ही जायेगा।
बदलाव कुछ चालों में, इरादों को मजबूत कीजिए
कामयाबी का तुम्हें नक्शा एक दिन मिल ही जायेगा।


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3 MAR 2022 AT 9:58

चेहरे को तेरे माहताब लिख रहा हूँ।,
बादलों को तेरा नक़ाब लिख रहा हूँ।
चांद तारों को ख़्वाब लिख रहा हूँ।
ज़िन्दगी को हबाब लिख रहा हूँ।
जब तलक ख़ुदना मुझको बतलाये,
नाम तुम्हारा मैं गुलाब लिख रहा हूँ।
गर ख़ुदा लिख रहा है मेरा हिसाब,
में भी तुम्हारा हिसाब लिख रहा हूँ।
जितना जी चाहे दर्द दे तुम मुझे,
हर दुखन को सवाब लिख रहा हूँ।
मुन्तशिर करके में ख्यालों को,
सब ख़यालों के बाब लिख रहा हूँ।
उनकी आँखों से जो टपकती है,
बस उसी को शराब लिख रहा हूँ।
वोह जो मुद्दत से कर रहे हैँ उसी,
तबसिरे पे किताब लिख रहा हूँ।
अश्क जो ठहरा है उभरके अभी,
में तो उसको सराब लिख रहा हूँ।
मुझको जो देखके झुकाई निगाह,
ताब को मैं आफताब लिख रहा हूँ।

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28 FEB 2022 AT 17:35

जिनके लिए सारे काम हमने टाले हुए हैं।
वो पूछते हम क्यूं इतने ठाले हुए हैं।
कोशिशें लाख करे कोई हमको गिराने की,
हम हर हाल में खुदको सम्भाले हुए हैं।
इस इब्तिदा की इंतेहा क्या होगी खुदा जाने,
कुछ सिक्के हवा में उछाले हुए हैं।
कभी रूठे कभी सुलझे हुऐ रहते हैं वो,
जो मुझे सख़्त मुश्किल में डाले हुए हैं।

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