खुबसूरत हो तुम, ये जान लो
और बस रहा जो किरदार तुममें उसको पहचान लो
धूप में जो मिले ऐसी छांव हो तुम
और संस्कारों से भरा ,ऐसा गांव हो तुम
मनमौजी की ताज से सजी हो तुम
और खीली गुलाब सी हो एक धुन हो तुम
मोहब्बत हो तुमसे, ये चाहत है दीवानों की
और छेड़ रहे जो तुम्हें, वो हक है उन परवानों की 😉
चंचल सी पापा की लाडली हो तुम
नटखट सी भाईयों की प्यारी हो तुम
मम्मी की पार्टी की शान हो तुम
दोस्तों के महफील की जान हो तुम
खुबसूरत हो तुम, ये जान लो
और बस रहा जो किरदार तुममें उसको पहचान लो।
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