🙏"सदाशिव"🙏
धरा गगन सकल शिवम्, अनादि आदि मम शिवम्
अजर अमर अतः शिवम्, कराल काल मम शिवम्
जटा समाय सुरनदी, गला भुजंग शोभता
वृषभ सवार शिव शिवम्, सकल सदैव मम शिवम्।।
प्रलय प्रबल करे शिवम्, प्रखर प्रकाश मम शिवम्
विबुध-असुर भजे शिवम्, शुभंकरा सदा शिवम्
अनन्त आदि अक्षरा, विभव-विषय-वृहद् शिवम्
जगत् पुजाय देव मम, शुभम्-शुभम्-शुभम्-शिवम्।।
अघोर घोर शंकरा, अबोध बोध शंकरा
महाबले महामहे, महाविनाश शंकरा
भुजंग तुंग माल है, ललाट अग्निवास है
अनंग भस्म हो गए, त्रिनेत्र के प्रकोप से
चिताग्नि भस्म से रमे, हिमांशु शीश शोभता
त्रिनेत्र अग्नि है प्रबल, गला प्रचंड विष रहे
त्रिशूल सत्य रक्षिता, विनाश दुष्ट का करे
डमर करे शुभम्-शुभम्, शतम्-शतम् नमः शिवम्।।
जटा लटा शिवम् शिवम्, विनाश कारका शिवम्
जगत् सृजन करे शिवम्, कराल कारका शिवम्
गिरीश के शरण रहूँ, विराज देव हैं शिवम्
सदा-शिवम् भजाम्यहम्, सदा-शिवम् भजाम्यहम्।।
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