Pushpendra Pal   (Prem)
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Rapper
Poet
Lekhak
Student
Joined 1 April 2018


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Lekhak
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Joined 1 April 2018
8 NOV 2020 AT 20:53

HAI BEWAJAH, BEPANAAH , CHAHTON KA SABAB
TO MUJHKO BHI BATA TU AAKE AE MERE RAB
MAIN BAHUT SEH CHUKA, BAHUT SEH CHUKA YE DIL BHI TO
UMMEEDEIN MERE DIL KA DAMAN CHHODENGI KAB

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10 OCT 2020 AT 4:54

तेरे बिन जीना जानेजाना आता रास ना
है सच्चा प्रेम ये, नाकि है कामवासना
बंजर सा दिल है अब, उजड़ा सा जैसे हो चमन
जला पड़ा जिया, उठे धुंआ, मैं लेता सांस ना

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19 AUG 2020 AT 11:56

Main ik Juari Meri Jindagi Juaa
Aage hai Khaayi mere pichhe Kuan
Jameen ke tal se Prem,,
Tabhi Koonda Gehrayi dekh
Bhale Na Janu Tairna haan... To Kya Hua

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22 JUN 2020 AT 15:57

वो थोड़े भोले हैं
वो शम्भू के समान हैं
शम्भू उनका नाम हैं
वो शम्भू से महान हैं
मेरे पिता हैं वो
मेरे खुदा हैं वो
वो ही मेरी दीवाली
वो ही रमज़ान है
कष्ट अपना बेच करके
खरीद दी खुशी
ख्वाहिशें तमाम खुदकी हैं
कोने में खुसी
है कर्जदार प्रेम
आपके अनंत प्रेम का
ख्वाहिस है कि हो
सच्ची मुख पे आपके हंसी

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22 JUN 2020 AT 15:49

मुहब्बत हमारी न जानी किसी ने
हैं तर्क-ए-मुहब्बत के चर्चे शहर में

लिखे जो लहू से थे खत हमने उनको
वो बटवा दिए जैसे पर्चे शहर में

वो साहिल को पाकर बड़ा मुस्कराए
और हम रह गए छूटे क्यों फिर भंवर में

और कहदो कि लहरें है बाहें तुम्हारी
लिपटकर भी मरकर रहूंगा अमर मैं

ये डर खोने का तुमको पाए बिना है
बयां नाकबिल है ये करना बहर में

न उलझन बने 'प्रेम' ना ही रुकावट
तू जा ना चला जा किसी भी शहर में

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6 JAN 2020 AT 18:04

हूँ मदमस्त खाकर शिकस्त ए मोहब्बत
हँस मत कहे दिल जब होता मैं रतबत
दर्देदिल छुपा कर के हँसता मैं जबकि
लहू से है दिल अश्कों से आंखे लतपथ

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19 NOV 2019 AT 12:15

मोहब्बत हमारी न जानी किसी ने
क्यों तर्क ए मोहब्बत के चर्चे शहर में
लिखे जो लहू से थे खत हमने उनको
वो बटवा दिए जैसे पर्चे शहर में...

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21 JAN 2019 AT 11:54

हूँ लाखबक्ष मैं, उसको लाख बार बक्श दूं
जो राख करना चाहे मुझको
मैं उसीको नक्ष दूं
आस्तीन के साँपों को मैं सौंप देता अक्ष हूँ
जो काटने को फन फुलाए
तो मैं उसको भक्ष लूँ
हूँ पक्ष मैं विपक्ष मैं
ना किसी के दबाव मैं
ऊंचाई पे उड़ता हुआ आसमान सक्ष हूँ
मूल से फूल हूँ, फिर भी देख दक्ष हूँ
अकेला कहीं खोया हुआ मैं अंधेरा काश हूँ ...

To be continued...

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29 DEC 2018 AT 19:55

Muddato bad aaj mulaqaat hui
Nazarein mili do baat hui
Us par Muskaraya wo bhi kuchh is kadar
Is bejaan dil ki dhadkane fir se abad hui
Fir se Doobna chahta hai dil
Par Sahil ki darkaar hai
Karta hu tujh bin jeene ka lakh dikhawa
Par khqahis ab bhi barkaraar hai


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11 DEC 2018 AT 21:43

जीत पे तुम्हारी जो अकड़ रहे थे तुम
धर्म के बिनाह पे जो लड़ रहे थे तुम
जाति भेद धर्मवाद वाली करके बातें
मंदिर मस्ज़िद के मुद्दे पकड़ रहे थे तुम

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