आज भी प्रेम उतना ही पवित्र है,
जैसा राधा का, जैसा मीरा का था,
सिया राम, जैसे श्याम ,राधा का था,
प्रेम मे दूर थे, दूरी मे प्रेम था,
तुम मे मैं, मुझमे तुम,
हर कण, हर धुरी मे प्रेम था,
देव शक्ति से थे, शक्ति मे देव थे,
अर्धनारेश्वर, प्रेम मे प्रमाण था।
प्रेम तब भी पवित्र था, प्रेम आज भी पवित्र है,
हर युग मे प्रेम से ही ये सुरज ये चाँद,
ये अंबर का प्रेम था।
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