आज़ाद जिंदगी जीना ख्वाहिश थी उसकी पर अब एक कैदी की तरह घर के पिंजरे में कैद होकर रह गई कैसे जीवन की अपेक्षा उसने की थी पर अब कैसा जीवन बिता रही है यही सोचकर दुख होता है
कभी न खत्म होने वाला मीठे और तीखे तीरों का संसार कटु शब्द दिल तोड़ते हैं ओर मीठे शब्द दिलों को जोड़ते हैं ऐसे ही कुछ मिश्रित है शब्दों का संसार कभी न खत्म होने वाला
न करों बर्बादी मेरी न करो पर्यावरण को नष्ट न फेंकें कचरा यहॅॉ -वहॉ पान, गुटखा खाकर न थूंके जहॉ-तहॉं स्वच्छ धरती, स्वच्छ जीवन सुनो पुकार धरती की साफ रखें पृथ्वी
तुमसे हमारी तारीफ सुनने की इतना कुछ करने के बावजूद तुम तो कभी खुश ही नहीं होंगे शायद झगड़ा करते ही रहोगे ऐसा लगता है तुम्हारे मुंह से अपने लिए चार शब्द सुनने की हसरत के साथ ही शायद हम विदा होंगे
चुभती है दिल को हम ऐसे न थे पर अब तुम्हारे कारण सह रहे हैं चुप रहने की घुटन चाहते हैं बहुत कुछ तुमसे साझा करना पर तुम्हें तो फुरसत ही नहीं अपने कामों से, अपने खेल से एक दिन तुम समझ पाओगे पर तब तक देर हो चुकी होगी
यह घर तुम्हारा ही है पर दूसरी ओर तुम्हारे माता-पिता डालते हैं बंधन हमपर कहीं जाने पर उठाया जाता है सवाल कुछ लाने के लिए लेनी पड़ती है उनसे इजाजत न है कुछ करने की आजादी न ही है कुछ निर्णय लेने की स्वतंत्रता
राम नाम में ही हमारी जान यही तो है हरतरफ नारा पर क्या राम के गुण हैं किसी में क्या है कोई जो चल रहा है राम के बनाए सत्य पथ पर इस दुनिया में जो चल रहा है राम के रास्तों पर समझते हैं उन्हें कमजोर