लूट रहीं हैं आबरू सडकों पर बेखौफ़, जाने जिसकी भी हो इज्जत, क्यो करतें हो नीलाम? मांगा था उसने उडने को खुला आसमान, पर नोच डालें वो पंख, लेते ही पहली उडान! किस किस को आरोपी कहें, किस पर लगाये इलजाम? साधें चुपी बैठे हैं सभी, मानो ना गुनाहगार हो कोई!!
तुमने जीना तो सीखा दिया, पर साथ नहीं जिये हम। तुमने लडना तो सीखा दीया, पर साथ नहीं लडें हम। समय चलत गया, राहें बंटती गई, जाने कैसे मंज़िल गईं बदल। अब खामोशी में किस से लडें, यादो से छुपे या,यादों को जिये।