अपनी नजरों से नही पाया कि मैं भी खूबसूरत हूं । फिर , उन आंखों में ढूंढा वहां पाया कि मैं भी खूबसूरत हूं । वो आंखे , शायद दुनिया की सबसे हसीन आंखे हैं । मेरे लिए , और शायद मैं उनके लिए पर वास्तव में न मै अलग हूं न ही वो आंखे दोनों वैसे ही हैं जैसे , सामान्य लोग ,सामान्य आंखे लेकिन उन आंखों और मेरे बीच लगी है प्रेम की चादर जिससे होकर हर सामान्य चीज बन जाती है दुनिया में सबसे खूबसूरत ।
अजीब किस्सा है कबूतर उड़ाते हैं लोग सबको बताकर शांति की पहचान बनाकर मगर , कोई नही पूछता उस अशांति का हिसाब जो कबूतर के हिस्से आई थी तब , जब पकड़ा गया जकड़ा गया पिंजरे में उसको शांतिदूत बनाकर उड़ाने की खातिर ।
किसी ने कहा ये बेजुबान जानवर अच्छे होते हैं, इंसानों से
मुझे लगता है हर कोई अच्छा होता है , जब तक वो बेजुबान है , क्योंकि अगर सिख जायेगा बोलना , तो सिख जायेगा रोकना ,टोकना और पूछना फिर शुरू होगा विरोध , जो इंसानों को बुरा बनाता है ।
मर जाते हैं लोग उम्मीदों के मर जाने से, उम्मीदें ही तो वैशाखियां होती हैं, उन लोगों की जो अपाहिज हो चुके होते हैं प्रेम में , संघर्ष में , और टूट चुका होता है जिनका अंतर्मन, इन्ही वैशाखियों के सहारे वो चलते रहते हैं , आखिर तक तब - तक , जब तक कोई एक जिंदा रहता है, उम्मीद या वे लोग ।
खुश रहना , कितना आसान होता ? आदत होती अगर सबकुछ भूल जाने की। वो सबकुछ जिनसे हमारी उदासी है । जिंदगी , कितनी आसान होती ? अगर, हमारे ही बनाए रास्तों से गुजरती । लेकिन , सच तो यही है कि हमे बस देखते जाना है खुद को, उन कठपुतलियों की तरह जिनकी डोर होती है किन्ही और हाथों में , जो जीवंत तो लगतीं हैं लेकिन, बस तमासों में उसके बाद कैद हो जाती हैं असहाय,घने अंधेरों में और बेजान पड़ी रहती हैं अगले तमाशे तक ।
किसी चतुर आदमी ने कह दिया गुड़िया ____ ताकि मर जाए चेतना और खिलौना हो जाएं लड़कियां । न हो उनमें इच्छाएं न कोई विरोध हर कोई खेलता रहे अपनी - अपनी मर्जी से , जैसे बच्चे खेलते हैं गुड़ियों से । और ढाल सकें उनको अपने मन के अनुसार थोप सकें अपनी पाबंदियां क्योंकि गुड़िया कभी विरोध नहीं करती ।