तुम खुश हो, तो मैं भी अब रोती नहीं,
होने को मायूष कोई वजह भी होती नहीं।
बिखर जाऊँ जो टूट के, मैं वो मोती नहीं,
अल्फाजरूपी मोती को कच्चे धागे में अब पिरोती नहीं।
हैं जो आशायें, उन्हें अब किसीसे कहती नहीं,
होते तुम हमदर्द सच्चे, तो ये दूरियाँ कभी होती नहीं।
किस्मत जो साथ होती, तो मैं भी कुछ खोती नहीं,
बेशक हो गए सब दूर मुझसे पर मैं कोई पनौती नहीं।
-