Priya Rajpoot  
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Joined 9 March 2019


Joined 9 March 2019
15 APR AT 15:09

बिन माँगे मिल गया तो क़दर नहीं तुम्हें उसके नाम के सिंदूर की
कभी पूछना हमसे उस सिंदूर की कीमत क्या है
होगा वो तुम्हारे लिए तुम्हारी माँग में सजा रंग मात्र
मेरे लिए तो
हर दुआ हर इबादत था वो सिंदूर
हर मंदिर हर दरगाह का चादर था वो सिंदूर
मेरी पूजा मेरी मन्नतों का धागा था वो सिन्दूर
मैंने हर दफ़ा ख़ुदा से मांगा था वो सिंदूर
बिन चाहे मिला है तो तुम्हारी मांग में सजा एक रंग बन के रह गया
मेरी आँखों मे तारोँ सा सजता था मेरी मांग में वो सिंदूर
मेरी नींद मेरा चैन मेरे सुकून का सहारा था वो सिंदूर
मिल गया तुम्हे बिन चाहे और
हम चाह के भी पा न सके
मेरी जिंदगी का आखिरी ख़्वाहिश था वो सिंदूर
मेरे सपने मेरे जज़्बात मेरे आँसू है वो सिंदूर
जो मेरा होके भी मेरा न हुआ वो चाहत है वो सिंदूर
ईश्वर सा पूजा था मैंने उसे
ख़ुदा की रहमत सा पाया था मैंने उसे
साँसों सा जरूरी था वो मुझे
मेरी मुक्कदर का मुस्तक़बिल था वो मुझे
पा लिया तुमने और तुम्हे क़ीमती नहीं वो
मुझे मिला नहीं और मेरे लिए सबसे क़ीमती था वो मुझे
बिन माँगे मिल गया तो क़दर नहीं तुम्हे उसके नाम के सिंदूर की
हमसे पूछो उस सिंदूर की क़ीमत क्या है

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10 APR AT 15:21

याद है वो तुम्हारा पहली बार मुझसे मिलना, अपनी बाहों में मुझे समेट लेना
उस वक़्त मैं कितना शरमाई थी, तुम्हारे छूने से मैं कितना घबराई थी
फिर तुम्हारे उस प्यार के भाव में, भरोसे के छाँव में,
मैं कब बह गई न जाने कब मैं तुझमें ज़र्रा- ज़र्रा पिघल गयी
तुम्हारे होठों की छुअन जो मेरे माथे पे आयी थी
एक सुकून और प्यार भरे भरोसे की गरमाहट तब जाके मुझमे समायी थी
यूँ तो हमारी मुलाक़ातें बहुत कम हुई थी,
पर जितनी मिली बेहद खूबसूरत हुईं थी
याद है हमारा तकियों से लड़ना, लड़ते लड़ते मेरा तुम्हे पीछे से गले लगाना,
तुम्हारे हाथोँ से खाना, तुम्हारी बाहों में सो जाना
तुम्हारे गले मे बाँहें डाले तुम्हे जल्दी मिलने के वादे करना
और जाने के बाद फिर कुछ यादें और अगली बार मिलने के सपने सजाना
कितना हसीन था वो वक़्त कितना ख़ूबसूरत था वो एहसास
कितना वक्त था तब तुम्हारे पास मेरे लिए कभी फ़ुरसत मिले तो महसूस करना
की सुनते नहीं तुम मेरी कोई बात अब सुनने का अब वक्त कहाँ
इसलिए
लिखे हैं कुछ जज़्बात अपने कभी ख़्याल आये और वक़्त हो तो पढ़ लेना ।

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10 APR AT 15:16

की सुनते नहीं तुम बात मेरे, कभी ख़्याल आये तो पढ़ लेना
लिख रही हूं जज़्बात अपने कभी फ़ुरसत मिले तो पढ़ लेना
याद है वो तुम्हारा मुझे यूँ घंटो बस देखते रहना,
मुझे घूरना, देखना और देखने पे नजरें फेर लेना ,
याद है जब तुमने पहली दफ़ा, मुझसे अपना दिल-ए-हाल बयाँ किया था
प्यार पे भरोसा नहीं या मुझपे भरोसा नहीं ये सवाल किया था
थाम के हाथ मेरा अनन्त तक निभाने का वादा किया था
अपनी सारी खुशियाँ मुझे देके मेरे सारे गम ले लेना
मिलने की तुम्हे फ़ुरसत कहाँ, लिख रही हूं एहसास अपने कभी फ़ुरसत मिले तो पढ़ लेना................✍️✍️

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26 MAR AT 23:06

एक कहानी और अधूरी रह गई
कोशिशें तमाम की पर दिलों में दूरी रह गई
मुद्दतें कोशिश की सम्भालने की
पर संभाल न सके वो रिश्ता फ़िर हम बचा न सके
फ़िर इस तरह ईगो तले एक और मोह्हबत दब गई
ईगो जीत गया मोहहब्बत मर गयी

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25 FEB AT 12:59

जज़्बातों के बन्धन में उसने मुझे कुछ यूँ बाँध लिया
अपना बनाया भी नही किसी और का होने भी न दिया
तोड़ के सारे बन्धन हम नया सफर चुनने चले थे
पर हुआ कुछ यूँ
की अब हम साथ भी न रहे और जज्बातों ने मुझे आज़ाद भी न होने दिया

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20 FEB AT 10:35

अँजुरी में अपनी लेके उसकी अँजुरी,
उसको मेरे सारे हक दे गया
वो शख्स जो कल तक सिर्फ मेरा था ,
आज वो किसी और का हो गया
ख़्वाबों के आशियानें में एक घरौंदा बनाया था मैंने,
रौंद के घरौंदे को मेरे वो नया मकान चुन लिया
निःशब्द देखती रही मैं, और वो ग़ज़ल किसी और के नाम लिख दिया।
छीन के वो मुझसे सारे हक अपना हकदार बदल दिया
वो शख्स जो कल तक सिर्फ मेरा था आज किसी और का हो गया
बुनती रह गयी मैं उसके हज़ारों वादों की दुनिया,
सात फेरे के सातो वचन वो किसी और से निभा गया
जो कल तक सिर्फ इश्क़ था मेरा, वो आज किसी और का अर्धांग हो गया
वो शख्स जो कल तक सिर्फ मेरा था आज किसी और का हो गया
मेरे मांथे की बिंदी मेरी आँखों का काजल मेरे होठों की हँसी मेरे चेहरे का नूर ले गया
मेरी माँग में तारे सजाने के ख़्वाब देके वो किसी और कि मांग का सिंदूर बन गया
खुद से नज़र वो मिलाएगा कैसे जिसकी नज़रे मुझसे हटती नहीं थी वो मुझे भूलायेगा कैसे
वो जो कल तक अपनी बाजुओं में मुझे कसके रखता था वो आज अपनी बाहों में किसी और को सुलायेगा कैसे
इसे मैं किस्मत का खेल कहूँ या मुझपे वक़्त की मार है
की उसकी ज़िन्दगी में अब मेरा कोई वजूद नहीं और वो कल की आयी अब उसकी आधी हक़दार है
भर के उसकी मांग में अपने नाम का सिंदूर वो मुझसे मेरी जिंदगी के सारे रंग ले गया
वो शख्स जो कल तक सिर्फ मेरा था आज किसी एयर का हो गया

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19 FEB AT 21:20

एक वक़्त ऐसा आया
जहाँ मोहब्बत भी तिज़ारत हुई
कभी दिल बिका कभी ज़िस्म बिका
अब तो इमानियत भी नादिम हुई

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19 FEB AT 20:52

किसी को मिली यारी तो
किसी को मोहब्बत मयस्सर हुई
जब बारी आई हमारी रफ़ाक़त की
तो ख़ुदा की क़वायद बदल गई ।

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12 JAN AT 20:13

दिल-ए-ख़्वाहिश ऐसी की भर लूँ उन्हें बाहों में जी भर के
और
हालात-ए-बंदिश ऐसी की नज़र भर के देख भी न सके

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6 NOV 2023 AT 0:31

बेटी हूँ ना इसलिए ये दर्द मेरे ही हिस्से में आएगा
जिस आंगन में पली बढ़ी वो आंगन एक दिन मेरा न कहलाएगा
देखो न मुझसे धीरे धीरे सब छूट जाएगा
माँ के हाथ से खाना छूटा
माँ के पास सोना छूटा
एक दिन माँ का घर भी छूट जाएगा
बेटी हूँ न कहाँ जीवन सरल हो पाएगा
सारे पुराने रिश्ते छोड़ के नए रिश्तों में बांधा जाएगा
खुद को सम्भालते सम्भालते एक दिन घर संभालना आ जाएगा
जिस दिन माँ का आँचल छूटा
जिम्मेदारियों का एहसास समझ मे आएगा
जिस घर मे जन्म लिया वो घर भी छूट जाएगा
बेटी हूँ न इसलिए ये दर्द मेरे ही हिस्से में आएगा
वक़्त बदला उम्र बदली
बदमाशियां छूटी माँ का मारना छूटा
मेरा बचपन मेरा घर मेरी माँ एक दिन मुझसे सब छूट जाएगा
बेटी हूँ न इसलिए ये दर्द मेरे ही हिस्से में आएगा

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