मैंने तुम्हें देखा और दोनों में तकरार हुआ।।
फिर दोस्ती हुई और मन में इकरार हुआ।।
रहना मुश्किल हुआ जब तुम बिन, हाल ए दिल का इजहार हुआ।।
महिनों गुजर गये साथ में ना जाने कब तुमसे प्यार हुआ।।
जब भी तुम दूर रही मुझसे, मैं मन से फिर बीमार हुआ।।
लाख जतन किए भागने के, पर आखिर सब बेकार हुआ।।
वक्त गुजरा धीरे-धीरे, लंबा मेरा इंतजार हुआ।।
तुझे मुझमें फिर जा के मोहब्बत का दीदार हुआ।।
दूरिया मिटी दो दिलों की, मैं हवा के घोड़ों पर सवार हुआ।।
तन जुदा रहे एक दूजे से, बातों का जरिया तार हुआ।।
खटास भी आई बीच में थोड़ी, मीठा भी सब खार हुआ।।
मगर एक दूसरे से दूर रहना दोनों को ही नागवार हुआ।।
तूने रूप के डोरे डाले, मैं तेरे हुस्न का शिकार हुआ।।
ऐसा फसाँ इस मोह जाल में, हर पल दिल से तेरा ही पुकार हुआ।।
मैं तो वैसा ही रह गया अब तक, तुझपे यौवन का श्रृंगार हुआ।।
जान मेरी अटक गई तुझपे, तू दो धारी तलवार हुआ।।
यू ही अब सब ऐसा ही है और ऐसा ही शायद चले ।
मैं तुझमें बहना लगा हूं अब, जैसे तू नदिया की धार हुआ।।
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