मुझे आज भी तेरा वो घाव याद है।
तेरी मेहरबानी से ज्यादा मुझे, तेरा वर्ताव याद है।
मुझे आज भी तेरा, वो घाव याद है।
अपनी ख़ुदग़र्ज़ी के वास्ते, तूने मेरा इस्तेमाल किया था।
मैं पहचान तक ना पाया, तूने क्या कलाकारी बेमिसाल किया था।
जो धोखे से जो डूबाई, तूने वो नाव याद है।
मुझे आज भी तेरा, वो घाव याद है।
मेरे ज़ुबान से, मेरे रवैये से, तहज़ीब की तू ख़्वाहिश रखता है।
पर मैं जानता हूं कि तू वो सांप है, जो अक्सर पीठ पीछे डसता है।
भले ही तेरी शक्ल पे ना दिखता हो, पर तेरे मन का हर भाव याद है।
मुझे आज भी तेरा, वो घाव याद है।
अब तुझपे नज़र रखूं, तेरी बातों में ना आऊं, तो अफ़सोस मत करना।
एक रिश्ता था, जो अब होकर भी नहीं है, उसका शोक मत करना।
तू मिला नहीं मुझे बीते कई अरसे से, पर मुझे आज भी तेरा नाम याद है।
मुझे आज भी तेरा वो घाव याद है।
अब तू खो़ चुका है, अपनी इज्जत मेरी नज़रों से।
एक बार जो दफ़न हो जाया करते हैं, वो उठा नहीं करते कब्रों से।
जो उतार गया तुझे मेरी नज़रों से, मुझे आज भी तेरा वो काम याद है।
हां मुझे आज भी तेरा वो घाव याद है।
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