Pritam Singh Yadav   (Pritam Singh Yadav)
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Joined 13 July 2020


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Joined 13 July 2020
23 APR AT 9:06

चलो आज हम रिश्ते को, एक नया मोड़ देते हैं।
जो भी गिले शिकवे हैं दिलों में, सब यहीं छोड़ देते हैं।

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17 APR AT 21:05

वक्त के बदल जाने से, रिश्ते नहीं बदला करते हैं।
जो अपने हैं अपने होकर भी, वो अपने नहीं बदला करते हैं।
सालों तक ज़िंदा रहती है, उनकी सीख, उनकी यादें दिलों में,
एक नींद के उड़ जाने से, सपने नहीं बदला करते हैं।

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30 MAR AT 10:12

ना ख़ुश हूं, ना नाराज़ हूं मैं।
ना चुप हूं ना, आवाज़ हूं मैं।
ना भूत में हूं, ना भविष्य में हूं,
जो भी हूं, बस आज हूं मैं।

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30 MAR AT 10:01

बहुत कुछ ग़लत कर के, आज थोड़ा सा सही हूं।
हुआ करता था जैसा किसी दौर में, ‌वैसा बिल्कुल भी नहीं हूं।
फ़िर भी तमन्ना हो छोड़ जाने की, तो बेशक चले जाना,
हां सीखा है खामियों से, पर इन्सां आज भी वही हूं।

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26 MAR AT 14:20

मुझे आज भी तेरा वो घाव याद है।

तेरी मेहरबानी से ज्यादा मुझे, तेरा वर्ताव याद है।
मुझे आज भी तेरा, वो घाव याद है।

अपनी ख़ुदग़र्ज़ी के वास्ते, तूने मेरा इस्तेमाल किया था।
मैं पहचान तक ना पाया, तूने क्या कलाकारी बेमिसाल किया था।
जो धोखे से जो डूबाई, तूने वो नाव याद है।
मुझे आज भी तेरा, वो घाव याद है।

मेरे ज़ुबान से, मेरे रवैये से, तहज़ीब की तू ख़्वाहिश रखता है।
पर मैं जानता हूं कि तू वो सांप है, जो अक्सर पीठ पीछे डसता है।
भले ही तेरी शक्ल पे ना दिखता हो, पर तेरे मन का हर भाव याद है।
मुझे आज भी तेरा, वो घाव याद है।

अब तुझपे नज़र रखूं, तेरी बातों में ना आऊं, तो अफ़सोस मत करना।
एक रिश्ता था, जो अब होकर भी नहीं है, उसका शोक मत करना।
तू मिला नहीं मुझे बीते कई अरसे से, पर मुझे आज भी तेरा नाम याद है।
मुझे आज भी तेरा वो घाव याद है।

अब तू खो़ चुका है, अपनी इज्जत मेरी नज़रों से।
एक बार जो दफ़न हो जाया करते हैं, वो उठा नहीं करते कब्रों से।
जो उतार गया तुझे मेरी नज़रों से, मुझे आज भी तेरा वो काम याद है।
हां मुझे आज भी तेरा वो घाव याद है।

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18 MAR AT 17:37

अब बदल गया हूं मैं
मैं जानता हूं कि, मैं आजकल तुम्हें बड़ा ख़ुदग़र्ज़ सा लगता हूं।
कल तक नर्म था रुई के ढ़ेर सा, आजकल बड़ा सख़्त सा लगता हूं।

दरअसल भीतर कहीं मेरे, अब मुझे खोने का डर सा लगता है।
एक दीवार खड़ी कर देता हूं मेरे और लोगों में, जिनसे मुझे मुझसे खोने का डर सा लगता है।

डर लगता है के तुम कहीं बदल गए पहले की तरह, तो मेरा क्या होगा ?
टूट जाऊंगा फिर से, जब मेरा ,मेरा ना होगा।

मेरे इस अलग वर्ताव की वजह शायद तुम्हीं थे।
तुम गलत नहीं थे अपनी जगह, तुम भी सही थे।

तुम तो सीखा गए मुझे खुद भी खुद से ऐतबार करना।
ख़ुद की खुशियों को भी तवज्जो देना, उनसे प्यार करना।

मुझे बुरा मत समझना, के अब बदल गया हूं मैं।
तुम्हारा शुक्रगुज़ार हूं कि तुम्हारी बदौलत अब संभल गया हूं मैं।

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13 MAR AT 17:23

छोड़ आया हूँ ग़म ए उल्फ़त किसी ठिकाने पे अपनी
अब किसी सैलाब के आने की फ़िकर करता नहीं हूँ।
अब चाहे भला हो या बुरा, तेरा सब मंज़ूर है ऐ ज़िंदगी,
अब कुछ ना भी मिले ज़िंदगी से, तो अफसोस करता नहीं हूँ।

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4 FEB AT 18:19

|| हसदेव बचाओ ||
पेड़ों में तो प्राण बसे हैं,
हर मनुज-मनुज की जान बसे हैं।
हे मानव ! क्यों तुम निष्ठुर हो ?
क्यों स्वार्थ में इतने तत्पर हो ?
क्यों श्वांस को अपनी काट रहे ?
अंतिम दिवस को अपनी की छांट रहे।
इसका अंत कभी ना शुभ होगा।
हर श्वांस-श्वांस दुर्लभ होगा।
है प्रेम प्रकृति से तो रुक जाओ।
इस प्रकृति के आगे झुक जाओ।
यह प्रकृति सहर्ष तुम्हे भी स्वीकारेगी।
अपना सब कुछ तुम पर वारेगी।
इन वनों को अब ना कांटो तुम
क्षण स्वार्थ, इसे ना बांटो तुम।
है मूक पर एक दिन गरजेंगे।
एक दिन तुम पर ही ये बरसेंगे।
इनका जन्मों से हमसे नाता है।
ये प्रकृति हमारी माता है।
अब ना संकट में इसे डालो तुम।
अब 'हसदेव' को अपनी बचालो तुम।

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26 JAN AT 6:33

इंतज़ार है मुझे सही वक़्त के आने का,
अंधेरा चीर कर उस रोशन चिराग़ के आने का।
बेसबर हो चुका हूं, एक अरसे से राह तकते-तकते।
इंतज़ार है मुझे, मेरे मुकाम के आने का।

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16 JAN AT 12:44

करता रहा नेकियाँ बेहिसाब मैं, कभी गिनती नहीं की‌।
उस ख़ुदा ने भी रहमतें बेशुमार की, कभी कमी नहीं की।

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