इधर से छेड़ रही मस्त हवा फागुन की उधर तुम्हारी अल्को की पुरवाई हैं, इधर बसंत में बौरा रही हैं अम्राई, उधर जवानी है की तुम्हारी की बौरायी हैं, इधर खिली खिली हैं धूप चारों और, और उधर तुम्हारे चेहरे की अरुणाई हैं, इधर जब देखू लगता हैं की फागुन आया, उधर जब देखू लगता हैं होली आयी है!