कभी जो अपनी मर्जी चलाया करती थी
आज वह पाबंदी में जी रही है
जो कभी किसी की परी हुआ करती थी
आज वह एक बंधन में सिमट गई है
कितने शौक हुआ करते थे उसके
आज मजबूरी के बोझ तले दबती जा रही है
वह औरत ही तो है साहब जो बिना कुछ बोले चलती चली जा रही है!
चलती चली जा रही है!!
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