मां की छाती से बने खून को,
यदि उसके लिए बहाना प्यार है ,
तो मुझे प्यार स्वीकार नहीं....
सिर्फ उनसे कहा सुनी में,
जो बदल जाए सबके प्रति मेरा व्यवहार,
तो मुझे ये व्यवहार स्वीकार नहीं।
उससे बातों के वजह से,
जो छूट जाए मेरे जिगरी यार,
तो मझे ये प्यार स्वीकार नहीं।
बन्द हो जाए जो उससे लड़ाई पर,
वो मां के हाथों से बना आहार,
तो मुझे ये प्यार स्वीकार नहीं ।
चुनना पड़े उसे या,
जिनसे बना है मेरा संसार(मां बाप),
तो मुझे ये प्यार स्वीकार नहीं ।
उसे खुश रखते रखते,
जो अपने किरदार से जाऊं मै हार,
तो मुझे ये हार स्वीकार नहीं।
वो उसे मानने के चक्कर में,
जो छोड़ना पड़े मां को आश्रम के द्वार,
तो मुझे ये प्यार स्वीकार नहीं।
उसके दबाव के चलते,
जो हो जाए घर के टुकड़े चार,
तो मुझे ये प्यार स्वीकार नहीं।
Himanshu_withlove
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